Mumbai : गीतकार जावेद अख्तर के साथ एक इंटरव्यू के दौरान लता मंगेशकर ने कहा था कि मास्टर गुलाम हैदर के सिखाये सबक की वजह से ही उनकी आवाज और गायकी, श्रोताओं के दिल को कुछ हद तक छु पाती है. लता दीदी ने इस इंटरव्यू में बताया था कि मास्टर गुलाम हैदर मुझसे कहा करते थे, लता, गाने के जो बोल हैं, उनको पहले समझो. इसके लिए तुम्हें थोड़ी हिंदी और उर्दू आनी चाहिए. कल्पना करो की जो नायिका का दुख है, उसे अपना समझो, जो खुशी वो महसूस कर रही है, तुम भी महसूस करो, फिर देखो तुम्हारे गायन का कितना प्रभाव पड़ता है.
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लता दीदी जैसी गायिका का जन्म बार-बार नहीं होता
जिनके नाम से भारतीय सिनेमा के संगीत की पहचान है, जो भारत की कोकिला हैं, जिनकी आवाज में रूहानी जादू है, लता मंगेशकर के प्रशंसक पूरी दुनिया में है. फैंस जानते हैं कि लता दीदी जैसी गायिका का जन्म बार-बार नहीं होता है. मगर लता मंगेशकर खुद को एक अदना-सा कलाकार ही मानती थी. कई मौकों पर उन्होंने अपनी संगीत यात्रा के बारे में बताया है.
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नूर जहां के सामने गाना गाने के लिए कहा गया
लेखक और फिल्मकार नसरीन मुन्नी कबीर की लिखी किताब ‘हर ओन वॉयस’ (Book Her Own Voice) में लता मंगेशकर के गायकी के प्रति जुनून और आत्मविश्वस की झलक देखने को मिलती है. किताब में लता ने अपनी गायकी के शुरूआती दिनों का जिक्र करते हुए कहा कि उन्हें एक बार गुजरे जमाने की मशहूर गायिका और अभिनेत्री नूर जहां के सामने गाना गाने के लिए कहा गया था. लता कहती हैं, एक दिन वो फिल्म बड़ी मां के सेट पर थी. मास्टर विनाय ने उनसे मिलवाते हुए कहा ये नूरजहां जी हैं, इनका एक गाना गाओ. इसलिए मैंने राग जयजयवंती गाया.
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जब मैं गा रही थी, तो मुझे बाबा की बातें याद आ गयी
इसके बाद उन्होंने मुझे एक फिल्म गाना गाने के लिए कहा, तो मैंने आरसी बोरल की फिल्म ‘वापस’ के गाने ‘जीवन है बेकार तुम्हारे बिना गाया. जब मैं गा रही थी, तो मुझे बाबा की बातें याद आ गयी, उन्होंने कहा था, यदि तुम अपने गुरु के सामने गाती हो, तो खुद को गुरु समझो’. बाबा की इसी बात को ख्याल करते हुए मैंने गाना गाया, उन्हें मेरी आवाज पसंद आयी. लता मंगेशकर ने किताब में जिक्र किया है कि नूर जहां, ने उन्हें खूब प्रैक्टिस करने के लिए बोला, और कहा ‘मैं किसी दिन बहुत बड़ी गायिका बनूगीं
भारत रत्न लता मंगेशकर की आवाज भगवान की देन है
अधिकतर लोग यह मानते हैं कि भारत रत्न लता मंगेशकर की आवाज भगवान की देन है. इसलिए उन्हें गाने में कोई मेहनत नहीं करनी पड़ती हैं. एक इंटरव्यू में लता ने मुस्कुराते हुए कहा था, ‘मैं भी दूसरे गायकों की तरह हर दिन रियाज करती हूं, लेकिन जब बात मनपसंद खाने की आती है, तो वो खुद पर कंट्रोल नहीं कर पती हैं. लता मंगेशकर ने अपने इंटरव्यू में खुलासा करते हुए कहा था कि 75 फीसदी मूल प्रतिभा होती है, बाकी आपकी कड़ी मेहनत और प्रशिक्षण है. लता दीदी कहती हैं कि लोग मानते हैं, ‘एक गायक को खाने पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है. वे सलाह देते हैं कि मिर्च न खाएं, अचार का सेवन न करें या फिर दही भी मत खाएं’, मगर मैं इन बातों पर ध्यान नहीं देती.
महान गायिका आगे बताती हैं कि मेरे पिता हमेशा कहते थे, ‘अगर आपको गायक बनना है, तो अपने आसपास प्रतिबंध में लगाओ, एक गायक को खुलकर गाना चाहिए, यदि आप नियमित रूप से रियाज करेंगे, तो आवाज हमेशा अच्छी रहेगी.