– रांची शहर से गायब हो गई हरियाली, 10 साल में तैयार हो गए कंक्रीट के जंगल
– स्मार्ट रोड नंबर दो के लिए राजभवन से बिरसा चौक में 800 पेड़ काटने की योजना बनी थी
Ranchi : चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने सरकार से पूछा है कि 30 साल पहले रांची में हरियाली कितनी थी. 1928 और 1932 का नक्शा देखने पर झारखंड और रांची में सिर्फ हरियाली दिखती थी. अभी हरियाली कम होने से प्रदेश के तापमान में लगातार.. बढोत्तरी दर्ज हो रही है. भूजल में गिरावट हो रही है. जनसंख्या में बढ़ोत्तरी, निर्माण कार्य के कारण निजी जंगल क्षेत्र लगातार घट रहा है. 10 साल पहले जो इलाका पेड़-पौधों से भरा दिखता था, अब वहां कंक्रीट के जंगल उग आए हैं.
लगातार न्यूज ने झारखंड में हरियाली की वर्तमान स्थिति का अध्ययन किया. विभिन्न श्रोतों से प्रदेश में वृक्षारोपण, हरियाली में बढोत्तरी और पेड़ों की कटाई से संबंधित आंकडे जुटाए. जिससे पता चला कि विकास के नाम पर झारखंड में लाखों पेड़ों की कटाई हुई. और सैकड़ों पेट काटे जा रहे हैं. इसके बावजूद वन विभाग के दस्तावेजों में हरियाली बढ़ी है.
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संस्था की रिपोर्ट : रांची में हर साल कटते हैं 1200 पेड़
रांची में पिछले पांच वर्षों में करीब एक लाख से ज्यादा पेड़ विभिन्न कारणों से काट दिए गए. महीने में करीब 100 और साल भर में एक हजार से ज्यादा पेड़ जिले के अलग-अलग हिस्सों में कट रहे हैं. गैर सरकारी संगठन टोटल एंवायरमेंट अवेयरनेस मूवमेंट ने बीते वर्ष सर्वे रिपोर्ट जारी किया था. रिपोर्ट के अनुसार, रांची में हर साल करीब 1200 पेड़ काटे जाते हैं. रांची में पिछले तीन वर्षों में सड़क निर्माण सहित विभिन्न सरकारी योजनाओं के लिए करीब 80 हजार पेड़ काटे गए.
हरियाली को लेकर हाईकोर्ट हमेशा रहा गंभीर
हाईकोर्ट ने सरकार से पेड़ काटने के मामले में बीते वर्ष भी जवाब मांगा था. सरकार दृवारा गठित कमेटी ने पेड़ों की कटाई से संबंधित विस्तृत अध्ययन रिपोर्ट कोर्ट में सौपा था. रिपोर्ट में बताया था वर्ष 2016 से 2019 के दौरान कुल 62 हजार पेड़ काटे गए. शहर में करीब 21 हजार पेड़ ट्रांसप्लांट करने की अनुमति दी गई. इसकी क्षतिपूर्ति के बदले विभिन्न निर्माण एजेंसियों को करीब 2.85 लाख पौधा लगाने का निर्देश दिया गया था.
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स्मार्ट सिटी के नाम पर विभिन्न क्षेत्रों में कटेंगे 2159 पेड़
नगर विकास विभाग धुर्वा में 656 एकड़ जमीन पर स्मार्ट सिटी बना रहा है. जबकि चार प्रमुख सड़कें स्मार्ट रोड के रूप में विकसित की जा रही हैं. स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट कैंपस में कुल 959 पेड़ कटेंगे. वहीं स्मार्ट रोड में करीब 1200 पेड़ों को काट दिया जाएगा. 157 पेड़ को शिफ्ट करने का फैसला लिया गया है. वहीं काटे गए पेड़ों की जगह 9490 से अधिक पेड़ लगाए भी जाएंगे.
रांची में सड़क निर्माण के लिए काटे गए हजारों पेड़
1000 : पिस्कामोड़-कुडू़ रोड के लिए काटे गए पेड़.
463 : रांची-कुडू के बीच सडक चौडीकरण के लिए काटे गए पेड़.
2000 : रांची-खूंटी रोड के लिए काटे गए पेड़.
3000 : रांची और रामगढ़ के बीच काटे गए हैं.
800 : पिस्कामोड़-बेड़ो रोड के लिए.
300 : पंडरा से पिस्का मोड़.
8000 : रांची-टाटा फोनलेन.
3500 : शिवपुरी टोरी रेल लाईन निर्माण के लिए पेड़ काटे गए.
7000 : रिंग रोड में नामकुम से रातू, कांके, विकास तक.
102 हेक्टेयर में लगे वृक्ष : हजारीबाग-बरही सड़क चौड़ीकरण के दौरान काटे गए.
वन विभाग के दस्तावेज में बढ़ी है हरियाली
वन आवरण : 58.41 वर्ग किमी बढ़ोत्तरी
– 2019 में : 23,611.4 वर्ग किमी
– 2017 में : 23,553 वर्ग किमी
वृक्ष का आवरण : 265 वर्ग किमी घटा
2019 में : 2,657 वर्ग किमी
2017 में : 2,922 वर्ग किमी
वर्ष, कुल रोपित पौधे, लागत
2018-19 23721205 203 करोड़
2019-20 15242500 201 करोड़
प्रदेश में पेड़ कम होने के मुख्य कारण
-सड़कों का निर्माण और चौड़ीकरण
-कोयला और खनिज खदानों में बढ़ता खनन
-आवासीय सेक्टर, इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास
-डैम आदि का निर्माण
पेड़ कम होने का दुस्प्रभाव
-मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव
-सड़कों के आसपास तापमान वृद्धि
-भूजल का स्तर प्रभावित होगा
-धूल बढ़ेगी, एलर्जी रोगियों को परेशानी बढेगी. यानी सरकार के समर्थन में 12 विधायक (स्पीकर को लेकर) हैं, जबकि विपक्ष में 14 विधायक हैं. कांग्रेस का कहना है कि उसके पास निर्वाचित विधायकों में से बहुमत है, यानी 23 में 12 विधायक उसके साथ हैं.
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