- जिला अध्यक्षों में मुस्लिम और अनुसूचित जाति को शामिल नहीं किए जाने के मामले ने पकड़ा तूल
- मुस्लिम और अनुसूचित जाति के कार्यकर्ताओं ने की नारेबाजी
- कार्यकारी अध्यक्ष शहजादा अनवर का शीर्ष नेताओं को पत्र, कहा – सांगठनिक विस्तार में नहीं रखा गया सामाजिक समीकरण का ध्यान
Puja Dubey
Ranchi : झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी के जिला अध्यक्षों की नियुक्ति का मामला तूल पकड़ने लगा है. प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में मंगलवार को प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय पर मुस्लिम और दलित विरोधी होने का आरोप लगाया गया. यह आरोप कांग्रेस के अल्पसंख्यक और दलित कार्यकर्ताओं ने लगाया है. विरोध करते हुए कार्यकर्ताओं ने प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर और प्रभारी का पुतला फूंका. वहीं, नए जिला अध्यक्षों की सूची से नाराज प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष शहजादा अनवर ने प्रभारी अविनाश पांडेय को पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने सांगठनिक विस्तार में सामाजिक समीकरण को ध्यान नहीं रखे जाने की बात कही है. पत्र की प्रतिलिपि ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के महासचिव केसी वेणुगोपाल और प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर को भी दी है.
पार्टी मुख्यालय में लगे मुर्दाबाद के नारे
राजेश ठाकुर और अविनाश पांडेय का पुतला जलाने के साथ कार्यकर्ताओं ने इनके खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगाए. दोनों पर मुस्लिम और दलित विरोधी होने का आरोप लगाया. इससे पहले अल्पसंख्यक कार्यकर्ताओं की बैठक कांके में हुई, जिसका नेतृत्व कांग्रेसी नेता ऐनुल हक अंसारी ने किया. बता दें कि नए जिला अध्यक्षों की सूची में ओबीसी और ब्राह्राण को विशेष तरजीह दी गयी है. जिला अध्यक्षों की जो सूची जारी हुई है, उसमें 8 ब्राह्रण, 9 ओबीसी, 5 अनुसूचित जनजाति, 2 भूमिहार, 1 राजपूत जाति से लिए गए हैं.
अल्पसंख्यक और दलित को किन कारणों से नहीं दी गयी है जगह
कार्यकारी अध्यक्ष शहजादा अनवर ने कहा कि नए जिला अध्यक्षों की सूची में झारखंड कांग्रेस के एक बड़े वर्ग में गहरी निराशा हुई है. कांग्रेस पार्टी की विचारधारा सभी वर्गों को साथ लेकर चलने की रही है. हमेशा से ही सांगठनिक विस्तार में सामाजिक समीकरण को ध्यान में रखा जाता रहा है. लेकिन नए जिला अध्यक्षों के गठन में अल्पसंख्यक और दलित समाज को अज्ञात कारणों से जगह नहीं दी गयी है. ऐसे में जरूरी है कि पार्टी के व्यापक हितों और भविष्य की चुनौतियों को देखते हुए जिला अध्यक्षों की सूची में फिर से विचार किया जाए. साथ ही इसमें अल्पसंख्यक और दलित समाज को जगह दी जाए.
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