Ranchi : कोरोना काल के दौरान झारखंड महामारी के अलावा और भी कई राजनीतिक मुद्दों से गुजरा. विपक्ष ने सरकार को कुछ मामलों पर सीधे-सीधे घेरने की कोशिश की. खासकर रूपा तिर्की की मौत और संथाल में पंकज मिश्रा मामले ने काफी सुर्खियां बटोरी. रूपा तिर्की मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जांच का आदेश दे दिया है. लेकिन पंकज मिश्रा के मामले में सीएम की तरफ से कोई बयान जारी नहीं किया गया है. इन्हीं सब मामलों पर हाल ही में अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी (एआईसीसी) की सचिव और उत्तराखंड की प्रभारी बनी महगामा की कांग्रेस विधायक दीपिका पांडे सिंह ने लगातार के ब्यूरो चीफ अक्षय कुमार से बात की. पढ़ें और सुनें क्या कहा दीपिका पांडे सिंह ने.
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सरकार की नयी नियमावली के मुताबिक, टीएसी (ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल) में अब राज्यपाल का कोई रोल नहीं रह गया है. इसपर कांग्रेस का क्या स्टैंड है.
दीपिकाः ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. यही काम रमन सिंह की सरकार रहते छत्तीसगढ़ में हुआ. सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे सही ठहराया है. यह मुद्दा सवाल-जवाब करने वाला है ही नहीं. राज्य के आदिवासियों के विकास कार्यों में देरी हो रही थी. ऐसे में कई बार ऐसे फैसले लेने पड़ते हैं. सवाल उठाने वाले पहले अपने पूर्व मुख्यमंत्री से सवाल कर लें, उसके बाद हमसे सवाल करें.
क्या रूपा तिर्की के मामले में सरकार को जांच के मद्देनजर फैसला में देर नहीं हुई.
दीपिकाः रूपा तिर्की मामले में आम आदमी में मन में सवाल उठे थे. जैसी तस्वीरें सामने आयी थीं, उससे भी सवाल उठ रहे थे. ये सवाल दर्द बनकर रूपा तिर्की के घर वालों के मन में थे. इस मामले पर तुरंत कार्रवाई करते हुए सही निर्देश दिया जाना चाहिए था. लेकिन उस वक्त हमलोग कोरोना की सेकेंड वेब से लड़ रहे थे. इस मामले में उस वक्त जो प्राथमिकताएं होनी चाहिए थीं, शायद नहीं हो सकीं. लेकिन मैंने सीएम से मुलाकात में इसपर चर्चा की. मुख्यमंत्री का कहना था कि वह इस मामले में सिर्फ बयान नहीं देना चाहते. बीजेपी इसमें राजनीति करने की कोशिश कर रही है. सीएम रूपा के घरवालों को न्याय दिलाना चाहते हैं. आयोग के माध्यम से जांच के बाद न्याय हो सकेगा. मैं उनके परिवार वालों से मिली. उनका कहना है कि वे पुलिस की भूमिका से संतुष्ट नहीं हैं. पुलिस एसोसिएशन की भूमिका से भी परिवार वाले काफी नाराज थे. मैं भी कहना चाहती हूं कि पुलिस एसोसिएशन के लोग छोटी-छोटी बातों पर सीबीआई और सीआईडी की बात करते हैं. रूपा तो पुलिस महकमे की होनहार अफसर थी. कम से कम उनके परिवार को तो उचित तरीके से मामले की जांच कराकर संतुष्ट करना चाहिए. थोड़ी देर जरूर हुई है, लेकिन अब मामला सही रास्ते पर है.
क्या मुख्यमंत्री के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा पर लग रहे आरोपों की जांच नहीं होनी चाहिए.
दीपिकाः मुझे लगता है कि रूपा तिर्की मामले में सीएम ने जांच का आदेश देकर अपनी मंशा साफ कर दी है. चाहे कोई भी शख्स हो. खास हो या आम, अगर इस मामले से जुड़ा हुआ है, तो उसकी जांच होनी चाहिए और सही कार्रवाई भी होनी चाहिए. आमतौर पर सत्ता के आसपास जो रहते हैं, उनपर कई बार सवाल उठाये जाते हैं. हो सकता है कि वे गलत भी हों. पंकज मिश्रा का नाम सीएम से जुड़े होने की बात सामने आ रही है. मुझे लगता है कि ऐसा होने पर कोई भी हो, उसे संयमित हो जाना चाहिए. सरकार को इसपर सही कदम उठाना चाहिए.
एक व्यक्ति एक पद का नारा कांग्रेस ने दिया. लेकिन झारखंड को लेकर पार्टी गंभीर नहीं दिखती है. ऐसा क्यों.
दीपिकाः ऐसी बात नहीं है. पार्टी बेहद गंभीर है. कोरोना काल में आपको हर कांग्रेसी सड़क पर मदद के लिए दिख रहा था. प्रदेश अध्यक्ष भी सड़क पर थे. एक व्यक्ति-एक पद का फैसला आलाकमान का है. पार्टी अब सारी बातों को देख रही है. कई फैसले हो रहे हैं. आलाकमान को झारखंड के लिए जो भी अच्छा लगेगा, करेगा. ये मेरा अधिकार क्षेत्र नहीं है. इसलिए ज्यादा कुछ नहीं कह सकती. मुझे पूरा विश्वास है कि जब जैसी जरूरत होगी, निर्णय लिया जायेगा.
आपको उत्तराखंड की जिम्मेदारी भी दी गयी है. क्या वहां भी कांग्रेस की सरकार दिखेगी?
दीपिकाः झारखंड, उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ एक साथ गठित हुए. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है. झारखंड में महागठबंधन की सरकार में कांग्रेस शामिल है. 2022 में उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार हो, ये मेरी प्राथमिकता है. पार्टी ने जो जिम्मदारी मुझे दी है, उसके लिए मैं सभी को धन्यवाद देती हूं. पार्टी ने एक कार्यकर्ता पर इतना भरोसा करते हुए इतनी बड़ी जवाबदेही दी है. मैं ईमानदारी से इसे पूरा करूंगी. जिस तरह से बीजेपी शासित प्रदेशों में गंगा जैसी पवित्र नदी को गंदा करने का काम बीजेपी ने किया है, उसे अब साफ करने का काम जनता ने करना शुरू कर दिया है. यूपी और उत्तराखंड में भी जनता इन्हें जवाब जरूर देगी.
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