NewDelhi : राज्यसभा सदस्य और पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने आज रविवार को आरोप लगाया कि सरकार (मोदी) न्यायपालिका पर कब्जा करने का प्रयास कर रही है. उन्होंने कहा कि सरकार ऐसी स्थिति बनाने की पूरी कोशिश कर रही है, जिसमें एक बार फिर से उच्चतम न्यायालय में दूसरे स्वरूप में राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) का परीक्षण किया जा सके. कपिल सिब्बल (74) ने मौजूदा समय में केशवानंद भारती के फैसले के बुनियादी ढांचे के सिद्धांत को बहुत महत्वपूर्ण करार देते हुए सरकार को खुले तौर पर यह कहने की चुनौती दी कि यह त्रुटिपूर्ण है.
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उपराष्ट्रपति धनखड़ ने एनजेएसी रद्द करने के फैसले की आलोचना की थी
उन्होंने दावा किया कि सरकार इस तथ्य से सामंजस्य नहीं बैठा पा रही है कि उसके पास उच्च न्यायपालिका में नियुक्तियों में उसकी बात अंतिम नहीं है. सिब्बल ने भाषा के साथ साक्षात्कार में कहा, वे (सरकार) ऐसी स्थिति बनाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं, जिसमें एक बार फिर से उच्चतम न्यायालय में दूसरे स्वरूप में राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) का परीक्षण किया जा सके. उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की उस हालिया टिप्पणी के बाद सिब्बल की यह प्रतिक्रिया सामने आयी है, जिसमें श्री धनखड़ ने उच्चतम न्यायालय द्वारा एनजेएसी को रद्द करने के फैसले की आलोचना की थी.
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उच्चतम न्यायालय ने एनजेएसी अधिनियम को 2015 में असंवैधानिक करार दिया था
श्री धनखड़ने 1973 के केशवानंद भारती मामले के ऐतिहासिक फैसले पर भी सवाल खड़े करते हुए कहा था कि इस फैसले ने एक गलत मिसाल कायम की और वह उच्चतम न्यायालय के इस फैसले से असहमत हैं कि संसद संविधान में संशोधन कर सकती है, लेकिन इसकी मूल संरचना में नहीं. उच्चतम न्यायालय ने एनजेएसी अधिनियम को 2015 में असंवैधानिक करार दिया था, जिसका उद्देश्य उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली को बदलना था.
वह व्यक्तिगत राय रख रहे हैं या सरकार की ओर से बोल रहे हैं
जगदीप धनखड़ की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर सिब्बल ने कहा, जब एक उच्च संवैधानिक प्राधिकारी और कानून के जानकार व्यक्ति, इस तरह की टिप्पणी करते हैं, तो सबसे पहले यह सवाल पूछना चाहिए कि क्या वह व्यक्तिगत राय रख रहे हैं या सरकार की ओर से बोल रहे हैं. उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, इसलिए, मुझे नहीं पता कि वह किस हैसियत से बोल रहे हैं, सरकार को इसकी पुष्टि करनी होगी. अगर सरकार सार्वजनिक रूप से कहती है कि वह उनके विचारों से सहमत है, तो इसका एक अलग अर्थ है.