Girish Malviya
पांच अगस्त सुबह की शुरूआत भारतीय पुरुष हॉकी टीम की टोक्यो ओलंपिक में जीत के साथ हुई. भारत की टीम ने जर्मनी को 5-4 से हराकर कांस्य पदक जीत लिया. जैसे ही यह खबर आई देशभर में इस जीत की खुशी मनाई जाने लगी. क्योंकि 42 साल बाद ओलंपिक हॉकी जैसी प्रतिष्ठित स्पर्धा में भारत को कोई पदक हाथ आया था. पीएम मोदी ने इसका फायदा उठाते हुए धड़ाधड़ दो ट्वीट किये. जिसमें प्रफुल्लित भारत, प्रेरित भारत, गर्वित भारत टाइप की शब्दावली का बेहूदा इस्तेमाल था.
चलिए! यहां तक तो फिर भी ठीक था. आप भारत के प्रधानमंत्री है. आपको टीम इंडिया की जीत की बधाई देने का हक बनता है. लेकिन दोपहर 12 बजे के लगभग एक वीडियो वायरल किया गया.
जिसमें प्रधानमंत्री मोदी हॉकी टीम के कप्तान मनप्रीत सिंह से मोबाइल पर स्पीकर फोन से बात कर रहे हैं और बधाई दे रहे हैं. साफ नजर आ रहा था कि ये “मार्केटिंग गिमिक” है. अगर आपको बधाई देना ही है तो आपको कॉल स्पीकर पर रखवाने की जरूरत ही क्या थी? आप वैसे बात नहीं कर सकते क्या! जैसे कान में लगाकर फोन पर नॉर्मल तरीके से बात होती है? और कोई व्यक्ति सामने खड़े होकर यह पूरी बातचीत का वीडियो बना रहा है.
दरअसल, मार्केटिंग की दुनिया मे इसे “मोमेंट मार्केटिंग” कहा जाता है. किसी चल रहे ईवेंट्स में फायदा उठाने के लिए ब्रांड्स खुद को चालू कॉन्वर्जेशन में सम्मिलित कर लेते हैं. जब सब जगह इस जीत की धूम मची थी. इस वीडियो के द्वारा “विनिंग मोमेंट” को ब्रांड मोदी से जोड़ दिया जा रहा है.
डिजिटल वर्ल्ड में मोमेंट मार्केटिंग एक ऐसा अभियान हैं, जिसमें ब्रांड एक ट्रेंडिंग टॉपिक को हाईजैक कर उसके साथ जुड़कर अपनी ब्रांडिंग करते हैं. इसका लक्ष्य एक चलन के इर्द-गिर्द बातचीत का हिस्सा बनकर लोगों का ध्यान आकर्षित करना होता है.
चूंकि आज बड़े पैमाने पर युवा इंटरनेट पर वीडियो मीम आदि देखने में अपना टाइम स्पेंड करता है. इसलिए इस तरह से ट्रिक से लंबी अवधि में व्यूअर के साथ गहरा संबंध बनाने में मदद मिलती है.
कल की ही खबर है कि पीवी सिंधू की पीआर एजेंसी ने मोमेंट मार्केटिंग करने के लिए ब्रांड और कंपनियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की बात की है. और यहां प्रधानमंत्री भी यही काम कर रहे हैं.
डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं.