NewDelhi : ब्रिटिश शासन से पूर्व भारत की 70 से 80 प्रतिशत आबादी शिक्षित थी, कोई बेरोजगारी नहीं थी. तब जातियों के बीच कोई भेदभाव नहीं था. वहां कि केवल 17 फीसदी आबादी ही शिक्षित थी. लेकिन अंग्रेजों ने वहां की शिक्षा प्रणाली को यहां लागू किया और वो 70 फीसदी शिक्षित बन गये. जबकि भारत की केवल 17 फीसदी आबादी ही शिक्षित रह गयी.
#WATCH | Before British rule, our country’s 70% population was educated& there was no unemployment.Whereas in England only 17% people were educated.They implemented their edu model here&implemented our model in their country& became 70% educated &we became 17% educated: RSS chief pic.twitter.com/JnSZX6KtGK
— ANI (@ANI) March 5, 2023
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने रोजगार और शिक्षा को लेकर यह बयान दिया है. मोहन भागवत इंद्री-करनाल मार्ग पर आत्मा मनोहर जैन आराधना मंदिर परिसर में एक मल्टीस्पेशियलिटी अस्पताल का उद्घाटन करने के बाद एक सभा में बोल रहे थे.
इसे भी पढ़ें : नौसेना कमांडरों की बैठक पहली बार आज INS विक्रांत पर, राजनाथ सिंह शामिल होंगे
जाति और रंग के आधार पर ब्रिटिश शासन के पूर्व भारत में कोई भेदभाव नहीं था
अपनी बात आगे बढ़ाते हुए मोहन भागवत ने कहा कि जाति और रंग के आधार पर ब्रिटिश शासन के पूर्व भारत में कोई भेदभाव नहीं था क्योंकि हमारी शिक्षा प्रणाली लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए बनाई गयी थी. उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने यहां इंग्लैंड की शिक्षा प्रणाली लागू की थी और इसने देश की शिक्षा प्रणाली को नष्ट कर दिया. कहा कि हमारी शिक्षा व्यवस्था न केवल रोजगारपरक थी, बल्कि ज्ञान का माध्यम भी थी. शिक्षा सस्ती और सभी के लिए सुलभ थी. इसलिए समाज ने शिक्षा का सारा खर्च उठाया और इस शिक्षा से निकले विद्वानों, कलाकारों और कारीगरों को पूरी दुनिया में पहचान मिली.
इसे भी पढ़ें : भारत की अर्थव्यवस्था पर हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ का असर, रघुराम राजन ने चेताया
शिक्षा एक व्यवसाय बन गयी है
मोहन भागवत ने इस क्रम में कहा कि आजकल हमारे देश में स्थिति यह है कि शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए कोई भी कुछ भी करने को तैयार है क्योंकि दोनों ही चीजें महंगी और दुर्लभ हो गयी हैं. शिक्षा एक व्यवसाय बन गयी है. लेकिन शिक्षा और स्वास्थ्य हर व्यक्ति तक पहुंचे यह जरूरी भी है.
आरएसएस प्रमुख ने शैक्षिक प्रणाली के महत्व पर अपनी बात रखते हुए स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्रों में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने कहा, हम वो नहीं हैं जो सिर्फ अपने लिए जीते हैं. हमारी संस्कृति और परंपराओं में सर्वजन हिताय-सर्जन सुखाय (सबका कल्याण-सबका सुख) की भावना निहित है.
wpse_comments_template]