Rohan Singh
सत्ता अपने साथ बेहिसाब ताकत लाती है. ताकत के साथ चाटुकार इकठ्ठा होते है और फिर वो चाटुकार आपकी देखने, सुनने और समझने की शक्ति को खत्म करने लगते है. और फिर आप जिस समझ के बूते वहां तक पहुंचे होते है, उसके खत्म होने के साथ ही आप फिसलने लगते हैं ढलान पर. चढ़ते वक्त बहुत सारे लोग साथ में होते हैं पर फिसलते वक्त समझदार लोग आपके साथ नहीं फिसलते है. ऊपर लिखी बात नरेंद्र मोदी को ध्यान में रखकर लिखी गई है और इसके पक्ष में मजबूत तर्क भी हैं.
पहला तर्क
नरेंद्र मोदी की राजनीतिक समझ पहले बहुत शार्प थी. वो अपने क्रियाकलापों, अपने भाषणों आदि से एकदम स्पष्ट संदेश देते थे अपने कार्यकर्ताओं, अपने समर्थकों और देशवासियों को. पर अब !
– कंटीले तार, कील और बैरिकेडिंग से क्या हासिल हुआ आपको? किसान तो ऐसे भी बिना प्रोग्राम के दिल्ली नहीं घुसेगा. क्योंकि 26 जनवरी को कैप्टन अमरिंदर सिंह के एक आह्वान पर पूरे किसानों ने दिल्ली खाली कर दी थी. ‘दिल्ली अकेले आपकी नहीं है.’ ये बात आपको छोड़ कर सबको पता है. और ये सब पूरी दुनिया देख रही है कि आप डरे हुए हैं. किसानों को अलग-थलग करना चाहते हैं. इसलिए पत्रकारों को अंदर नहीं जाने दिया जा रहा है. सांसदों को किसानों से मिलने नहीं दिया जा रहा है. अगर आप डरे हुए नहीं हैं तो क्यों किसानों के टॉयलेट, पानी इत्यादि चीजों को बंद कर दिया है. अगर आप डरे नहीं हैं तो आपने इंटरनेट क्यों बंद कर दिया है.
– रिहाना ने ट्वीट किया था कि “हम लोग इस किसान आंदोलन के साथ हो रही ज्यादतियों पर क्यों बात नहीं कर रहे हैं.” साथ में उसने cnn पर छपी खबर का लिंक पोस्ट किया. रिहाना के ट्वीट के बाद ग्रेटा, अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की भतीजी मीना हैरिस और विश्व की तमाम बड़ी हस्तियां किसान आंदोलन के समर्थन में पोस्ट करने लगी. जिनके फॉलोअर्स की संख्या करोड़ों में है. आपकी वर्तमान राजनीतिक समझ आपकी प्रतिक्रिया से पता चलती है. आपने क्या किया? विदेश मंत्रालय प्रेस रिलीज जारी करता है. कुछ इंडिविजुअल के ट्वीट्स के जवाब में और हैशटैग जारी करता है. फिल्मी दुनिया की कुछ हस्तियां और बीसीसीआई से जुड़े क्रिकेटर्स आपके दिए हैशटैग ट्वीट करते हैं. उसमें से ज्यादातर एक ही तरह के ट्वीट करते हैं. जिससे स्पष्ट हो जाता है कि कंटेंट आपके द्वारा प्रदान किया गया था. यानी या तो वह दबाव में ट्वीट कर रहे थे या किसी प्रलोभन के कारण. और कुछ एकाद मामलों में आपको खुश करने के लिए लेकिन इसको चाटुकारिता की श्रेणी में ही रखा जा सकता है. आपकी इतनी सारी कसरत और इस तरह की घबराई हुई प्रतिक्रिया के कारण आखिर में पूरी दुनिया इस मुद्दे पर बात करने लगी. और रही सही कसर आपके द्वारा ट्वीट करने वालों के ऊपर मुकदमा करके पूरी हो गई.
– पत्रकारों पर मुकदमा करके और लठ बजा कर (आपके समर्थकों की शब्दावली) आपने पूरी दुनिया के पत्रकारों का ध्यान इस तरफ खींच लिया. अब पूरी दुनिया में छप रहा है. पूरी दुनिया पढ़ रही है और आप पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनता जा रहा है. हालांकि आप स्वीकार नहीं कर रहे है. लेकिन आपके क्रियाकलापों में दिख रहा है.
– इस आंदोलन की राजनीतिक कीमत आपने चुकाना शुरू कर दिया है. क्योंकि अब जाटों के, मीणा के, गुर्जरों के, सरदारों के, गांवों में भारतीय जनता पार्टी के विधायक, सांसद और कार्यकर्ताओं का प्रवेश बंद कर दिया गया है. उनका हुक्का-पानी बंद कर दिया गया है. हरियाणा की सरकार कब गिर जाए, किसी को पता नहीं है. पूरा पश्चिमी उत्तर प्रदेश आप के खिलाफ खड़ा हो गया है. और पंजाब में तो आपको ऐसे भी प्रवेश नहीं मिलता था. पर शिरोमणि अकाली दल के जाने के बाद राहों में कील बिछ गई है.
दूसरा तर्क
राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी जैसा कोई भी बड़ा जनाधार वाला नेता आपके साथ कहां खड़ा है? यकीन नहीं होता है तो जाकर उनकी ट्विटर टाइम लाइन और उनके हाल के सार्वजनिक संबोधनों को देख लीजिए. इन बहादुर महिलाओं के ट्वीट के बाद किसी भी अच्छी राजनीतिक समझ वाले नेता ने आपके कॉपी पेस्ट कंटेंट को ट्वीट नहीं किया. बल्कि राजनाथ जी और नितिन गडकरी ने विदेश मंत्रालय के प्रेस रिलीज को रिट्वीट करके आपकी राजनीतिक समझ में हुए पतन को रेखांकित कर दिया है. आप जिस राजनीतिक ढलान पर फिसल रहे हैं, उसमें सिर्फ आप के चाटुकार और बिना जनाधार वाले आपके पिछलग्गू भी फिसलेंगे. क्योंकि आज वह जो भी हैं, आपकी वजह से है.
और अंत में अल्लामा इकबाल की इस महान पंक्तियों को पढ़ना मौजूं होगा.
“कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी,
सदियों रहा है दुश्मन दौर-ए-ज़मां हमारा,
सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा.”