Hazaribagh : सूचना अधिकार अधिनियम 2005 की रक्षा संवर्धन उपयोगिता एवं कार्यकर्ताओं की भूमिका पर पिछले दो दिनों से हजारीबाग में मंथन हो रहा है. दूसरे दिन वेबिनार के जरिए काफी संख्या में आरटीआई एक्टिविस्ट कार्यक्रम से जुड़े. यहां आरटीआई एक्टिविस्ट को मध्य प्रदेश के सूचना आयुक्त राहुल कुमार ने जानकारी भी दी. साथ ही सभाकक्ष में राज्य भर से पहुंचे आरटीआई एक्टिविस्टनों भी अपनी समस्या और उसके समाधान के लिए मुख्य अतिथि राहुल कुमार से जानकारी प्राप्त की. आरटीआई एक्टिविस्ट ने कहा कि विभिन्न राज्यों के सूचना आयुक्त ही भ्रष्ट हैं. इस कारण भी आरटीआई कानून का शत प्रतिशत अनुपालन नहीं हो रहा है. कार्यकर्ताओं का यह भी कहना है कि जानकारी मांगने के बावजूद समय पर हम लोगों को सूचना नहीं मिल पाती है. इसका प्रमुख कारण पद पर बैठे पदाधिकारियों का उदासीन रवैया है. कार्यकर्ताओं ने एक स्वर में कहा कि डाटा प्रोटक्शन बिल जो आने वाला है, अगर वह लागू हो गया, तो आरटीआई एक्ट की हत्या हो जाएगी. चूंकि इस बिल के जरिए आरटीआई एक्ट की धारा-4 पूरी तरह खत्म हो जाएगी. इसमें यह प्रावधान है कि व्यक्तिगत जानकारी का हवाला देकर जानकारी नहीं दी जाएगी. अगर यह एक्ट लागू हो गया तो सूचना देने में पदाधिकारी व्यक्तिगत जानकारी का हवाला देंगे और वह जानकारी आरटीआई एक्टिविस्ट को नहीं मिल पाएगा.
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देशभर में शुरू होगा पोस्टकार्ड अभियान
राष्ट्रीय सेमिनार के जरिए प्रधानमंत्री को 500 पोस्टकार्ड डाटा प्रोटक्शन बिल लागू नहीं करने की मांग करते हुए भेजा गया. कार्यकर्ताओं ने अपनी बातें पोस्टकार्ड पर लिखी है और उसे पोस्ट किया जाएगा. अभियान पूरे देश भर में चालू करने की बात कही जा रही है. वेबिनार में जुड़े भास्कर प्रभु ने कहा कि उन लोगों ने 5000 कार्ड सिर्फ मुंबई से भेजने की योजना बनाई है. वर्तमान समय में 500 से अधिक कार्ड इस विषय पर भेजा जा चुका है. उन्होंने कहा कि किसी भी हाल में डाटा प्रोटक्शन बिल लागू नहीं होना चाहिए.
आरटीआई में संशोधन से खत्म हो जाएगी पारदर्शिता : डॉ. चंद्रशेखर दत्त
पश्चिम बंगाल के आरटीआई एक्टिविस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. चंद्रशेखर दत्त भी कार्यक्रम में पहुंचे. उन्होंने कहा कि सरकार पारदर्शिता लाने की बात तो करती है, लेकिन सूचना का अधिकार अधिनियम को संशोधित कर रही है. इससे पारदर्शिता खत्म हो जाएगी और उन लोगों को उनके अधिकार से वंचित कर दिया जाएगा. उन्होंने केंद्रीय सूचना आयोग पर भी सवाल खड़ा किया और कहा कि पद बैठे अधिकारियों के उदासीन रवैए के कारण आरटीआई एक्ट का लाभ नहीं मिल पा रहा है. आरटीआई एक्ट से भ्रष्टाचार पर लगाम लगाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि अब तक उन्होंने 15,000 से अधिक सूचनाएं विभिन्न विभागों से मांगी है. उन सूचनाओं पर आगे की योजना बनाकर कोर्ट का दरवाजा तक खटखटाया है, जिससे भ्रष्टाचार पर लगाम लगा है.
मध्य प्रदेश के सूचना आयुक्त राहुल कुमार के काम का उन्होंने जिक्र किया और कहा कि निखिल डे ने इस कार्यक्रम में उन्हें जनता की सूचना का आयुक्त कह कर संबोधित किया है. ऐसे में पता चलता है कि राहुल कुमार बहुत ही ईमानदार सूचना आयुक्त हैं. जिस तरह से उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए सुनवाई की है, यह काबिले तारीफ है. उनके दिखाए हुए रास्ते पर अगर अन्य सूचना आयुक्त चलेंगे, तो इस एक्ट का और भी अधिक लाभ मिल पाएगा. उन्होंने हजारीबाग के इस कार्यक्रम को सफल बताया और आयोजक को धन्यवाद भी दिया.
नैनीताल के अजीम खान ने साझा किया अनुभव
राष्ट्रीय सेमिनार में उत्तराखंड के नैनीताल से अजीम खान भी हिस्सा लेने के लिए पहुंचे. वे 2007 से आरटीआई एक्टिविस्ट के रूप में सक्रिय हैं. वे मुख्य रूप से पर्यावरण, सरकारी भूमि की रक्षा और भ्रष्टाचार के खिलाफ आरटीआई से सूचनाएं एकत्रित करते हैं. उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम पूर्ण रूप से सफल है. हम लोगों का संगठित नहीं होना यह दुर्भाग्यपूर्ण है. इसी का लाभ सिस्टम पर बैठे पदाधिकारी उठा रहे हैं. उन्होंने कहा कि आरटीआई एक्टिविस्ट संगठित हों और इस तरह का कार्यक्रम हमेशा होते रहना चाहिए. वहीं उन्होंने वैसे लोगों को चिन्हित करने की बात कही, जो आरटीआई के जरिए सूचना तो एकत्रित कर लेते हैं, लेकिन उसका दुरुपयोग करते हैं. हाल के दिनों में उन्होंने नैनीताल में सरकारी भूमि की रक्षा के लिए सूचना एकत्रित किए. जिस जमीन पर बस अड्डा बना था, वहां भू-माफियाओं ने कॉलोनी बना दी. इस पर वहां की सरकार और कोर्ट ने कार्रवाई भी की है. वहीं वे पर्यावरण को लेकर पिछले 30 सालों से काम कर रहे हैं. फूड बेल्ट की जमीन पर अवैध रूप से भू-माफिया कब्जा कर रहे थे. उस फूड बेल्ट की जमीन को उन्होंने भू-माफिया से मुक्त कराया है. उन पर अब तक दो बार हमला भी हो चुका है. उन्होंने कहा कि आरटीआई एक्टिविस्ट मौत से नहीं डरते हैं. उन लोगों में देशभक्ति की भावना होती है. तभी तो वह भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद करते हैं. ऐसे में उन लोगों को भी सुरक्षा मिलनी चाहिए.
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