Ramgarh : प्राकृतिक खेती एवं इसके विस्तार विषय पर शनिवार को रामगढ़ डीसी माधवी मिश्रा की अध्यक्षता में समाहरणालय सभाकक्ष में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला की शुरुआत डीसी माधवी मिश्रा, उप विकास आयुक्त (डीडीसी) रामगढ़ नागेंद्र कुमार सिंह एवं उपस्थित अधिकारियों ने दीप जलाकर की.
कार्यशाला में प्रभारी कृषि विज्ञान केंद्र, मांडू, रामगढ़ डॉ. दुष्यंत कुमार राघव ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा झारखंड के कुल 12 जिलों का चयन प्राकृतिक कृषि एवं इसके विस्तार के लिए किया गया है. साथ ही उन्होंने पीपीटी के माध्यम से सभी को प्राकृतिक खेती के तकनीक एवं फायदों के बारे में बताया.
कार्यशाला के दौरान डीसी माधवी मिश्रा ने सभी संबंधित अधिकारियों, नाबार्ड, एफपीओ आदि से कहा कि जिस उद्देश्य से केंद्र सरकार द्वारा प्राकृतिक खेती के लिए रामगढ़ जिले का चयन किया गया है. उनको सफल बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने की अपील की. साथ ही उन्होंने सभी किसानों तक प्राकृतिक खेती की जानकारी पहुंचाने एवं उन्हें इसके इस्तेमाल के प्रति जागरूक करने की अपील की. डीसी ने कहा कि प्राकृतिक खेती ना केवल किसानों के लिए आर्थिक दृष्टिकोण से लाभकारी है, बल्कि जो भी फसल प्राकृतिक खेती के माध्यम से उगाई जाएंगी, वह लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होगी. मौके पर डीसी ने सभी से किसानों को अन्य फसलों के साथ-साथ शकरकंद, मडुवा, मूंगफली आदि की भी खेती कर रामगढ़ जिले को कृषि के क्षेत्र में अग्रणी जिला बनाने की अपील की.
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कृषि की प्राचीन पद्धति है प्राकृतिक खेती : डॉ. राघव
कार्यशाला के दौरान कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी डॉ. राघव ने बताया कि प्राकृतिक खेती कृषि की प्राचीन पद्धति है. यह भूमि के प्राकृतिक स्वरूप को बनाए रखती है. प्राकृतिक खेती में रासायनिक कीटनाशक का उपयोग नहीं किया जाता है. इस प्रकार की खेती में जो तत्व प्रकृति में पाए जाते हैं, उन्हीं को खेती में पोषक तत्व के रूप में कार्य में लिया जाता है. प्राकृतिक खेती में पोषक तत्वों के रूप में गोबर खाद, कंपोस्ट, जीवाणु खाद्य, फसल अवशेष और प्रकृति में उपलब्ध खनिज जैसे रॉक फास्फेट, जिप्सम आदि द्वारा पौधों को पोषक तत्व दिए जाते हैं. प्राकृतिक खेती में प्रकृति में उपलब्ध जीवाणुओं, मित्र कीट और जीवन कीटनाशक द्वारा फसल को हानिकारक जीवाणुओं से बचाया जाता है.
कार्यशाला के दौरान उन्होंने विशेष रूप से प्राकृतिक खेती की आवश्यकता, प्राकृतिक खेती के लाभ, प्राकृतिक खेती के महत्व, जैविक कृषि व प्राकृतिक कृषि में अंतर, प्रकृति में स्वत: उपलब्ध प्राकृतिक संसाधन, प्राकृतिक कृषि के मुख्य आधार, वर्तमान कृषि पद्धति में प्राकृतिक संसाधनों की स्थिति, प्राकृतिक खेती के मुख्य घटक, प्राकृतिक खेती में फसल सुरक्षा के उपाय, प्राकृतिक खेती में चुनौतियों सहित इससे संबंधित अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तार से जानकारी दी.