Faisal Anurag
भारत में कोरोना से होने वाली मौतों की वास्तविक संख्या को लेकर विदेशी विशेषज्ञ सवाल उठाते रहे हैं. सरकारी आंकड़ों में मौतों की कुल संख्या अब तक 3 लाख 11 हजार 388 दर्ज है. लेकिन न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित एक शोध अध्ययन के अनुसार यह संख्या 6 लाख से 42 लाख के बीच हो सकती है. मौतों की यह अनुमानित संख्या तीन अलग-अलग हालात में बताए गए हैं. चौंकाने वाली इस रिपोर्ट को भारत में द क्विंट ने भी प्रकाशित किया है. इसके पहले वाशिंगटन यूनिवर्सिटी ने भी दावा किया था कि भारत में होने वाली कुल मौतों की संख्या बतायी जा रही संख्या से तीन गुना ज्यादा है.
न्यूयॉर्क टाइम्स की खबर के अनुसार, एंटीबॉडी टेस्ट के नतीजों के विश्लेषण के आधार पर मौतों और संक्रमितों की संख्या का अनुमान लगाया गया है. इस विश्लेषण में जिन विशेषज्ञों ने भाग लिया है, उनके नाम हैं : डॉ इंगविल्ड अल्मास, डॉ. मुराद बनजी,डॉ. टेसा बोल्ड, डॉ सेलीन घिसोल्फी, डॉ. रामनन लक्ष्मीनारायण,डॉ. भ्रामण मुखर्जी, डॉ. पॉल नोवोसाद, डॉ. मेगन ओ’ड्रिस्कॉल, डॉ. जेफरी शमन, डॉ. कायोको शिओडा,रुक्मिणी श्रीनिवासन और डॉ. डैन वेनबर्गर. इन नामों की अमेरिका में बेहद ख्याति है.
न्यूयॉर्क टाइम्स के आंकड़े न केवल भयावह हैं, बल्कि उनसे एक डर भी पैदा होता है. चूंकि भारत में संक्रमितों और मौतों की संख्या को लेकर सवाल उठते रहे हैं, वैसी स्थिति में दुनिया के अनेक देशों के अनेक विशेषज्ञ सरकारी आंकड़ों को चुनौती देते रहे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी शुक्रवार को कहा था कि दुनिया भर में संक्रमितों और मौतों की संख्या बताये जा रहे आंकड़ों से कम से कम 2 से 3 गुना ज्यादा तो है ही. भारत में मौतों की संख्या 2 लाख के आंकड़े को जब पार किया था, तो उस समय वाशिंगटन यूनिवर्सिटी ने कहा था : यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मैट्रिक एंड इवेल्यूऐशन (IHME) के अनुसार, भारत में कोरोना से अब तक साढ़े छह लाख लोग मारे गए हैं. जबकि सरकार दो लाख की खबर दे रही है. सरकार का आंकड़ा गलत है.
न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, भारत में मौतों के आंकड़ों के विश्लेषण के लिए उस सर्वे का इस्तेमाल किया था. जिसे सिरो सर्वे कहते हैं. इस विश्लेषण में भारत में कोरोना संक्रमितों और मौतों के वास्तविक आंकड़ों का अनुमान लगाने के लिए भारत में कराए गए तीन देशव्यापी एंटीबॉडी टेस्ट के नतीजों का इस्तेमाल किया गया. इन्हें ही सीरो सर्वे भी कहते हैं. प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार तीन स्थितियों के हालात में संक्रमितों और मौतों की संख्या का अनुमान लगाया गया है. इस अध्ययन के अनुसार बहुत मौत होने पर भी भारत में 4.4 करोड़ लोग संक्रमित हुए और 6 लाख लोग मरे. यह संख्या 24 मई तक कुल संक्रमण और मौतों का बताया गया है. कहा गया है कि यदि इतने लोग तो प्रभावित हुए ही हैं.
एक दूसरा अनुमान यह भी गलाया गया है कि जिस तरह के हालात हुए हैं उसमें कुल संक्रमितों की संख्या 5.39 करोड़ हुई होगी और मौत कम से कम 16 लाख. पहले अनुमान का आधार यह बताया गया है कि 15एक्स इंफेक्शन प्रति दर्ज मामले होने पर मृत्युदर 0.15 प्रतिशत के आधार पर अनुमान निकाला गया है और दूसरे हालात में 20 एक्स इंफेक्शन प्रति दर्ज मामले में मृत्यु दर 0.30 प्रतिशत का अनुमान. तीसरा अनुमान भी इसमें लगाया गया है, जो बेहद भयावह है. जिसमें 42 लाख मौतों का अनुमान है.
इस स्टडी के मेथड और जमीनी हालात के बीच कितना फासला है, यह नहीं बताया गया है. इस तरह के अनुमान केवल भारत को लेकर ही नहीं हैं, बल्कि अमेरिका,ब्राजील सहित अनेक देशों के बारे में कहा जाता रहा है कि उन्होंने भी वास्तविक आंकड़ों को कम कर दिखाया है. चूंकि कोरोना की त्रासदी में आंकड़ों को लेकर जिस तरह के संदेह व्यक्त किए जाते रहे हैं, उससे इन अध्ययनों के लिए आधार बनता है. न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट तथ्यों के कितने करीब है, यह तो अभी नहीं कहा जा सकता है. लेकिन इस रिपोर्ट को नजरअंदाज भी नहीं किया जा सकता है. भारत के भी सौ से ज्यादा वैज्ञानिकों ने केंद्र को पत्र लिखकर आंकड़ों की उपलब्ध्ता कराए जाने की बात कही थी. ताकि वे अपने शोध की प्रक्रिया को तेज कर सकें. इससे जाहिर हुआ है कि आंकड़ों की सार्वजनिक उपलब्ध्ता को लेकर सवाल मौजूद हैं.