NewDelhi : केंद्र की राष्ट्रीय मौद्रिकरण योजना को लेकर राजनीतिक गलियारों का तापमान गरम है. मोदी सरकार पर विपक्ष का हल्ला बोल जारी है. विपक्ष का आरोप है कि मोदी सरकार देश की बेशकीमती संपत्तियों को निजी कंपनियों को बेचना चाहती है. मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस समेत सभी विपक्षी पार्टियां मौद्रिकरण योजना की आलोचना कर रहे हैं. इस बीच, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मौद्रिकरण योजना के बचाव में उतर आयी हैं. सीतारमण ने आज मंगलवार को योजना का बचाव करते हुए कांग्रेस को जवाब दिया. उन्होंने कहा कि हमारी देशहित और पारदर्शिता को लेकर प्रतिबद्ध है और चोरी-चुपके काम करना कांग्रेस की शैली है.
“Our government is committed to forward looking, pro-people reform…acting out of conviction.Stealth and secrecy are companions to Congress-style subterfuge.This government makes no compromise with transparency and national interest.” @HardeepSPuri https://t.co/nrUVrKBxLk
— Nirmala Sitharaman (@nsitharaman) August 31, 2021
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6 लाख करोड़ रुपये की राष्ट्रीय मौद्रिकरण योजना
जान लें कि वित्त मंत्री ने हाल में 6 लाख करोड़ रुपये की राष्ट्रीय मौद्रिकरण योजना (MNP) की घोषणा की थी. इसके जरिये रेलवे, बिजली से लेकर सड़क जैसे अलग अलग बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में संपत्तियों का मौद्रिकरण किया जाना है. इस संबंध में निर्मला सीतारमण ने आज ट्वीट कर कहा कि हमारी सरकार आगे की सोच, जन-समर्थक सुधार के लिए प्रतिबद्ध है और दृढ़ विश्वास के साथ काम कर रही है. चोरी-छिपे और गुपचुप तरीके से काम करना कांग्रेस की छल वाली स्टाइल के साथी हैं. यह सरकार पारदर्शिता और राष्ट्रहित के साथ कोई समझौता नहीं करती है.
उन्होंने यह भी कहा कि संपत्तियों के मौद्रिकरण में जमीन की बिक्री शामिल नहीं है और इसमें मौजूदा संपत्तियों (ब्राउनफील्ड संपत्तियों) के मौद्रिकरण से संबंधित है. मौद्रिकरण के लिए सड़क, रेल और विद्युत जैसे शीर्ष क्षेत्रों सहित अलग-अलग क्षेत्रों में परियोजनाओं की पहचान की गयी है. एनएमपी के तहत वित्त वर्ष 2022 से वित्त वर्ष 2025 तक चार साल की अवधि में केंद्र सरकार की मुख्य संपत्तियों के माध्यम से 6 लाख करोड़ रुपये की कुल मौद्रिकरण संभावनाओं का अनुमान लगाया गया है.
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सरकार के पास रहेगा संपत्ति का स्वामित्व
वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा था कि संपत्ति का स्वामित्व सरकार के पास बना रहेगा और उनका नियंत्रण वापस करना अनिवार्य होगा. कहा कि संपत्तियों के मौद्रिकरण से संसाधनों का दोहन होगा और उनके बेहतर मूल्य की स्थिति में लाया जा सकेगा. केंद्रीय बजट 2021-22 में बुनियादी ढांचे के टिकाऊ वित्तपोषण के एक प्रमुख साधन के रूप में परिचालनगत सार्वजनिक बुनियादी ढांचे की संपत्तियों के मौद्रिकरण की पहचान की गयी थी. इस दिशा में बजट में एक राष्ट्रीय मौद्रिकरण पाइपलाइन तैयार करने का भी प्रावधान किया गया है.