Kaushal Anand
Ranchi : झारखंड में योजनाएं बनायी जाती हैं. बजटीय प्रावधान भी कर दिया जाता है. टेंडर जारी करके काम भी एलॉट हो जाता है. मगर इंटर डिपार्टमेंट का कोई सिंगल विंडो सिस्टम नहीं होने की वजह से योजना या तो शुरू नहीं हो पाती है या फिर शुरू होती भी है, तो पूरी नहीं हो पाती है. पेयजल विभाग के करीब 1 दर्जन से अधिक वाटर सप्लाई स्कीम एनओसी लोचा की वजह से अधर में लटके हैं. जिसकी लागत करीब एक हजार करोड़ रूपए से ऊपर की है. इसके कारण इससे लाभान्वित होने वाले गांव और टोले तीन वर्ष से पानी मिलने की आस लगाए बैठे हैं. मगर न तो योजना शुरू हो सकी और न ही लोगों को पानी मिल पाया. यह सभी ग्रामीण जलापूर्ति योजनाएं हैं. सभी योजनाएं रेलवे, एनएचआई, फॉरेस्ट डिपार्टमेंट और आरसीडी के एनओसी नहीं मिलने के कारण लटकी पड़ी हैं.
एनओसी के कारण कई बड़ी योजना फंस गयी है. जिसमें चक्रधरपुर डिविजन की लुवबासा रूरल वाटर सप्लाई स्कीम सहित कई शामिल हैं. यह योजना करीब 3 साल से फंसी हुई है. चक्रधरपुर डिविजन के गोंदामारा-समुराई ग्रामीण जलापूर्ति योजना और 225.99 करोड़ की बोरम-पद्मा ग्रामीण जालपूर्ति योजना लटकी हुई है. यह मल्टी विलेज स्कीम है. नल से जल योजना के तहत घर में पानी पहुंचाना है. इसी तरह 32.64 करोड़ की सतडीहा ग्रामीण जलापूर्ति योजना भी फंसी हुई है. मजे की बात यह है कि संबंधित विभाग जहां से एनओसी लेनी है, केवल पत्राचार करके अपनी जिम्मेवारी से मुक्त हो जाते हैं. रघुवर सरकार के समय इसको लेकर पहल हुई थी कि पब्लिक यूटिलिटी से जुड़ी स्कीम के लिए इंटर डिपार्टमेंट का एक सिंगल विंडो सिस्टम बने. ताकि एक ही छत के नीचे एनओसी का पेंच खत्म किया जा सके. मगर यह सफल नहीं हो सका.
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ये ग्रामीण जलापूर्ति योजनाएं जो फंसी हुई हैं
योजना | राशि(करोड़ में) | लंबित रहने का कारण | |||
चियांकी | 25.41 | वन | |||
सारठ | 139.35 | वन
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धवैया | 7.42 | वन
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पालोजोरी | 208.22 | वन
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केश्वरी | 15.82 | आरसीडी | |||
पालोमोरी | 208.22
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आरसीडी | |||
खरोवन | 80.56
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आरसीडी | |||
लुवाबासा | 9.67 | रेलवे
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गोंदमारा | 11.27
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रेलवे | |||
बोरम पद्यमा | 225.99 | रेलवे | |||
सतडीह | 32.64 | रेलवे | |||
रंका रमकंडा | 78.71 | रेलवे और NHI | |||
मोरंगी | 21.12 | एनएचआई
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