Ranchi : दलित आर्थिक अधिकार आंदोलन से जुड़े नेताओं ने कहा है कि संसद में पेश किये गये आम बजट में एससी-एसटी के लिए कुछ भी नहीं है. एचआरडीसी रांची में आयोजित प्रेस कांफ्रेस में आदिवासी समाज के विशेषज्ञ सुनिल मिंज ने कहा कि महंगाई सारे रिकॉर्ड तोड़ चुकी है. पिछले कुछ सालों में बेरोजगारी भी बढ़ती जा रही है. लेकिन बजट में इन चुनौतियों से निपटने की कोई राह नहीं सुझाई गई है. एससी और एसटी के आबादी के अनुसार बजट आवंटित नहीं की गई हैं, जो नीति आयोग का उल्लंघन है. ये बजट के डायवर्सन का मामला है. एसटी-एससी का विकास करना चाहते हैं, तो उसके लिए लक्षित योजना बनाये जाने चाहिए. उन्होंने कहा कि राज्य में सीधे तौर पर नकद सहायता उपलब्ध कराने वाली योजनाएं सुनिश्चित की जानी चाहिए. यह सहायता जल्द से जल्द और बिना किसी भ्रष्टाचार के लाभार्थियों तक पहुंचे. इसके लिए ट्राइबल सब प्लान बने. तभी आदिवासियों तक राज्य की योजना पहुंच सकती है.
वित्तीय सहायता लाभार्थियों तक सही समय पर पहुंचे
भोजन का अधिकार अभियान के नेता बलराम ने कहा कि विशेष रूप से पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति, छात्रावास और कौशल विकास कार्यक्रम जैसी सीधे तौर पर लाभ पहुंचाने वाली योजनाओं के बजटीय आवंटन को बढ़ाया जाना चाहिए. यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इनके तहत हर हाल में वित्तीय सहायता लाभार्थियों तक सही समय पर पहुंचे. राष्ट्रीय ओवरसीज योजना को लागू किया जाना चाहिए. दलित महिलाओं, पुरुषों, बच्चों, विकलांग व्यक्तियों के खिलाफ अपराधों की रोकथाम के लिए सख्त कानून बने. मौके पर नेशनल कैंपेन ऑन दलित राइट्स के राज्य संयोजक मिथिलेश कुमार, झारखंड यूनाइटेड मिल्ली फोरम के महासचिव अफजल अनीश, झारखंड भोजन का अधिकार अभियान के संयोजक अशर्फी नंद प्रसाद, झारखंड नरेगा वाच के संयोजक जेम्स हेरेंज, जॉनसन टोपनो, राजन जी, एलेक्स केरकेट्टा, तेलेस्फोर एक्का उपस्थित थे.
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