- निगोशियेटेड ऋण लेने की न्यनूतम राशि में बदलाव , पहले 20 करोड़ था
- वित्त विभाग के प्रधान सचिव ने सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव और सचिव को जारी किया निर्देश
Ranchi : झारखंड सरकार का कोई भी विभाग अब 50 करोड़ रुपए या उससे अधिक की किसी योजना पर ही वित्तीय संस्थाओं से कोई ऋण ले सकेगा. यह ऋण निगोशियेटेड ऋण (वैसा ऋण जो बैंकों से निगोशियेटेड करके लिया जाता है) पर होगा और देश के अंदर की वित्तीय संस्थानों से ही लिया जाएगा. पहले निगोशियेटेड ऋण लेने की न्यनूतम राशि 20 करोड़ रुपए तक निर्धारित थी. वित्तीय संस्थाओं से ऋण लेने की सारी प्रक्रिया को लेकर वित्त विभाग के प्रधान सचिव ने सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव और सचिव को निर्देश जारी किया है. जारी निर्देश के तहत योजना समूह के लिए ऋण लिए जाने पर प्रत्येक योजना कम से कम 5 करोड़ रुपए का होना जरूरी होगा.
अंतिम अनुमोदन का प्रस्ताव अब वित्त विभाग के पास
राज्य के विकास के लिए समय-समय पर ऋण के माध्यम से भी राशि ली जाती है. विभिन्न वित्तीय संस्थाओं से ऋण लेने के लिए विभाग को बार-बार कैबिनेट की स्वीकृति लेने में देरी भी होती है. इसे देखते हुए बीते 13 दिसंबर को राज्य सरकार ने निर्णय लिया था कि राज्य की संचित निधि की प्रतिभूति पर लिये जाने वाले ऋण का अंतिम अनुमोदन वित्त विभाग द्वारा किया जाएगा.
निगोशियेटेड ऋण लेने की प्रक्रिया
- जिस परियोजना के लिए ऋण लिया जाना है, उस परियोजना का बजट चालू वित्तीय वर्ष में सम्मिलित रहना अनिवार्य होगा. एक से अधिक वर्ष की परियोजना की स्थिति में वर्षवार योजना के लिए बजट में आवश्यक उपबंध करना होगा.
- परियोजना का कार्यान्वयन कितने वर्ष में किया जाएगा और वर्षवार कितनी राशि का उपयोग होगा, इसका डीपीआर तैयार कर उस प्रस्ताव पर विभागीय मंत्री का अनुमोदन लिया जाएगा. फिर इसे वित्त विभाग को भेजा जाएगा.
- संबंधित विभाग द्वारा ऋण स्वीकृति के लिए प्रस्ताव टेंडर एमाउंट/एग्रीमेंट एमाउंट के आधार पर तैयार होगा. अगर संबंधित परियोजना का टेंडर एग्रीमेंट नहीं हुआ हो तो योजना की कुल प्रशासनिक स्वीकृति राशि के 10 प्रतिशत घटाकर प्रस्ताव तैयार किया जाएगा.
- किसी कारणवश प्राक्कलित या टेंडर राशि में संशोधन होता है, तो प्रशासी विभाग इसकी सूचना वित्त विभाग एवं नाबार्ड को देंगे.
- वित्त विभाग ही संबंधित वित्तीय संस्थाओं को उक्त परियोजना के लिए ऋण स्वीकृति का प्रस्ताव भेजेंगे. इसकी सूचना संबंधित विभाग को देंगे.
- वित्तीय संस्था द्वारा परियोजना पर स्पष्टीकरण मांगे जाने पर संबंधित विभाग इसका जवाब देंगे.
- वित्तीय संस्था द्वारा अगर प्रोसेसिंग फीस मांगा जाएगा, तो इसकी व्यवस्था संबंधित विभाग ही करेंगे.
- वित्तीय संस्था जब ऋण स्वीकृति को तैयार होते हैं, तो संबंधित विभाग योजना की प्रशासनिक स्वीकृति एवं ऋण की उगाही का प्रस्ताव वित्त विभाग के समक्ष प्रस्तुत करेंगे.
- वित्त विभाग द्वारा ही कितनी राशि ली जानी है, इसकी अवधि, किस्त, ब्याज दर, मूल एवं ब्याज की वापसी का डॉक्यूमेंटेशन किया जाएगा.
- ऋण की निकासी कार्य आधारित तथा संबंधित विभाग एवं वित्त विभाग की आम सहमति से की जायेगी.
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