- नियमों को ताक पर रख कर वित्त विभाग के अफसर ने पत्नी और मां के नाम से करा लिया बिजली विभाग का वर्क लाइसेंस रिन्यूअल
Kaushal Anand
Ranchi : वित्त विभाग के अफसर ने नियमों को ताक पर रख कर अपने पिता के निधन के बाद अपनी मां और पत्नी को पार्टनर बना कर उसके लाइसेंस का रिन्यूअल करवा लिया. इस रिन्यूअल में ऊर्जा विभाग के अफसर की मिली-भगत भी सामने आ रही हैं. बिजली अफसर ने नियमों की अनदेखी करते हुए अनलिमिटेड लाइसेंस का रिन्यूअल कर डाला. यह मामला अब संदेह के घेरे में आ गया है. मामला ऊर्जा विभाग में चर्चा का विषय बना हुआ है. जानकारी के अनुसार इसकी जांच भी कराई जा सकती है.
यह है पूरा मामला
वित्त विभाग के संयुक्त सचिव मो शाहनवाज अख्तर के पिता नसीम अख्तर का जनता इलेक्ट्रिकल वर्कस के नाम से ऊर्जा विभाग में अनलिमिटेड वर्क के लिए लाइसेंस पहले से बना हुआ था. मगर नसीम अख्तर का निधन 12 सितंबर 2022 को हो गया. इसके बाद नया लाइसेंस लेने के लिए आवेदन देने के बजाए पुराने लाइसेंस को ही रिन्यू कराने की योजना बनी. इसके लिए नोटरी पब्लिक से एक शपथ पत्र तैयार करके मो शहवनाज अख्तर ने अपनी मां शहीना प्रवीण और पत्नी शरीन असरार को कंपनी का पार्टनर दिखाते हुए इस लाइसेंस के रिन्यूअल के लिए आवेदन करवा दिया. यह शपथ पत्र नोटरी पब्लिक के द्वारा 28 सितंबर 2022 को तैयार हुआ. जरूरी कागजात जमा किए बिना ही 10 जनवरी 2023 को रिन्यूअल भी हो गया. जिस समय यह लाइसेंस रिन्यू हुआ, विजय कुमार सिन्हा मुख्य अभियंता सह विद्युत निरीक्षक थे. इसलिए इसके रिन्यूअल में बड़ी रकम लेन-देन की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है.
इन बिंदुओं पर उठ रहे सवाल
- एक सरकारी अफसर और कर्मी अपने सेवा काल में अपने ब्लड रिलेशन के नाम से लाइसेंस या लाइसेंस रिन्यूअल नहीं करा सकता है, तो फिर यह कैसे हुआ.
- नया लाइसेंस आवेदन के लिए पार्टरनशिप डीड जमा की जाती है, मगर पुराना लाइसेंस जो केवल एक व्यक्ति के नाम से था, बाद में रिन्यूअल के समय नई पार्टरशिप क्यों दिखाई गई.
- लाइसेंस रिन्यूअल में दोनों पार्टनर शहीना प्रवीण और शरीन असरार ने पैन कार्ड तो दिया, मगर आधार कार्ड नहीं दिया. आधार कार्ड देने से अपने पति जो वित्त विभाग में अफसर हैं, उनका नाम और एड्रेस लोकेट हो सकता था. अब सवाल उठता है कि बिना आधार कार्ड के लाइसेंस रिन्यूअल कैसे हो गया.
- पार्टनरशिप डीड सक्षम मैजिस्ट्रेट के हस्ताक्षर से तैयार करवा कर जमा की जाती है, मगर रिन्यूअल में नोटरी से पार्टरशिप शपथ पत्र जमा कराया गया. शपथ पत्र में किसी गवाह के हस्ताक्षर भी नहीं हैं.
- अनलिमिटेड लाइसेंस निबंधन के लिए तीन साल का वर्क अनुभव और 1 करोड़ का टर्न ओवर दिखाना होता है, मगर पुराने अनुभव के आधार पर ही रिन्यूअल कर दिया गया.
- इस लाइसेंस रिन्यूअल के लिए निवर्तमान मुख्य अभियंता विजय कुमार सिन्हा ने एक पांच सदस्यीय कमेटी बनायी थी, जिसके अध्यक्ष ये खुद थे. कमेटी में दो अधीक्षण अभियंता, एक कार्यपालक अभियंता और एक सहायक अभियंता रैंक के अफसर शामिल थे. अभी जो वर्तमान में मुख्य अभियंता अगम प्रसाद हैं, वे इस कमेटी में बतौर अधीक्षण अभियंता शामिल थे. इसके बावजूद लाइसेंस का रिन्यूअल हो जाना, अपने आप में गंभीर मसला है. आखिकार जिम्मेवार बिजली अफसर ने जरूरी पेपर और तय मानक को दरकिनार करके लाइसेंस रिन्यू कैसे कर दिया.
क्या कहते हैं ऊर्जा विभाग के जिम्मेवार अफसर
मुख्य अभियंता सह विद्युत निरीक्षक अगम प्रसाद से जब इस मामले में पूछा गया, तो उन्होंने मामले को टालने की कोशिश की. कहा कि मेरे मोबाइल का बैटरी डाउन हो गई है. बाद में बात करेंगे. जब उनसे पूछा गया कि जो लाइसेंस रिन्यूअल किया गया है, इसमें नियमों और जरूरी पेपर की अनदेखी हुई है. जबकि गठित कमेटी में आप भी बतौर सदस्य शामिल थे. तो उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है सारे कार्य नियम के तहत किए गए हैं. इतना कह कर उन्होंने फोन कट कर दिया.
इसे भी पढ़ें – रांचीः राज्य सरकार के आदेश पर एडीजी प्रिया दूबे के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू