NewDelhi : सुप्रीम कोर्ट में रोहिंग्या मुस्लिमों को जम्मू-कश्मीर स्थित डिटेंशन सेंटर में रखे जाने के मामले की सुनवाई के क्रम में शुक्रवार को केंद्र सरकार ने कहा कि भारत विश्व में घुसपैठियों की राजधानी नहीं है. इसे ऐसा बनने नहीं दिया जायेगा. कहा कि सरकार कानून के अनुसार अपना काम कर रही है. बता दें कि मामला जम्मू-कश्मीर के एक डिटेंशन सेंटर में रखे गये 150 रोहिंग्या मुस्लिमों से जुड़ा हुआ है. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अगली सुनवाई तक अपना फैसला सुरक्षित रख लिया.
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रोहिंग्याओं को डिटेंशन सेंटर से तुरंत रिहा किया जाये
जान लें कि याचिककर्ता मोहम्मद सलीमुल्ला ने वकील प्रशांत भूषण के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. याचिका में अदालत से मांग की गयी है कि रोहिंग्याओं को डिटेंशन सेंटर से तुरंत रिहा किया जाये. उन्हें वापस म्यांमार भेजने के केंद्र सरकार के फैसले पर रोक लगाई जाये. चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान केंद्र सरकार के वकील तुषार मेहता ने दलील दी कि डिंटेशन सेंटर में रखे गये रोहिंग्या शरणार्थी नहीं, बल्कि घुसपैठिए हैं.
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म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों का नरसंहार
सुनवाई के क्रम में प्रशांत भूषण ने दलील दी कि म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के नरसंहार को लेकर पिछले साल 23 जनवरी को अंतरराष्ट्रीय अदालत ने अपना फैसला दिया. फैसले में कहा गया था कि म्यांमार में सेना ने निर्दोष लोगों की हत्याएं की हैं. इससे लगभग 7.44 लाख रोहिंग्या बेघर होकर पड़ोसी देशों में भागने को विवश हुए. इसके जवाब में सीजेआई ने कहा कि यह याचिका केवल भारतीय नागरिकों के लिए है. दूसरे देश के नागरिकों के लिए नहीं.
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