Ranchi : राजधानी रांची स्थित पुराने जेल परिसर में बनाये गये भगवान बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान और स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक ऐतिहासिक कार्य बताया है. उन्होंने कहा है कि इसके माध्यम से हम अपनी आने वाली पीढ़ी तक शहीदों की वीरता और राज्य के इतिहास को उन तक पहुंचा सकेंगे. इससे पहले भगवान बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान और स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्घाटन किया. उद्घाटन समारोह के दौरान पीएम ने कहा, आज का दिन धरती आबा की जंयति, झारखंड का स्थापना दिवस, आजादी का अमृत महोत्सव, कुल मिलाकर राष्ट्रीय आस्था का दिन है. आजादी के अमृत महोत्सव में देश की जनजातीय परंपरा और शौर्यगाथा को देश और भव्य पहचान देगा. उन्होंने कहा कि आज के बाद से हर वर्ष अब हम 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाएंगे. उद्घाटन समारोह में राज्यपाल रमेश बैस, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा व किशन रेड्डी, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, मंत्री चंपाई सोरेन, रांची की मेयर आशा लकड़ा, विधायक सीपी सिंह, मुख्य सचिव सुखदेव सिंह सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे.
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झारखंड का इतिहास देश में अलग स्थान रखता है – सीएम
उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भगवान बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान को एक ऐतिहासिक बताया है. उन्होंने समस्त झारखंडवासियों को शुभकामनाएं दी हैं. सभी झारखंडियों को जोहार कहते हुए सीएम ने कहा कि आज का यह दिन का निश्चित रूप से एक ऐतिहासिक दिन है. भगवान बिरसा मुंडा की याद में आज हम एक ऐसे जगह पर एकत्रित हैं. जहां धरती आबा ने अंतिम सांसे ली थीं. इसे हम बिरसा कारा या बिरसा जेल के नाम से भी जानते हैं. आज पुराने जेल में सौंदर्यीकरण करते हुए इसे ऐतिहासिक चिन्ह बताते हुए आज यहां धऱती आबा सहित राज्य के कई शहीदों का एक संग्रहण तैयार किया गया है. इससे हमारी पीढ़ी शहीदों के वीरता और इतिहास को जान पाएगी.
हेमंत ने कहा कि झारखंड का इतिहास देश के अन्य राज्यों से अलग एक स्थान रखता है. जब देश के लोग आजादी के सपने भी नहीं देखे थे, तब झारखंड के लोग अपने हक-अधिकार, जल जंगल जमीन के लिए लड़ते रहे. ये लोग कभी किसी से डरे नहीं. जन्म लेने के बाद ही समस्त झारखंडी संघर्ष करते आये हैं. यह संघर्ष संथाल परगना, से लेकर कोल्हान और पलामू से लेकर उत्तरी और दक्षिण छोटानागपुर तक देखने को मिला है. झारखंड के स्वंतत्रता सेनानियों का आजादी की लड़ाई में अहम योगदान रहा है. सबसे पहले यहां के वीर सपूतों ने आवाज उठाई थी. झारखंड आदिवासी बहुल राज्य है. हमने कभी किसी के साथ भेदभाव नहीं किया. शहीदों के सपनों का झारखंड बनाना है.
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