Udaipur : पी चिदंबरम ने कहा कि मोदी सरकार लोकतांत्रिक आवाजों को दबाने का प्रयास कर रही है. चाहे वह संसद के अंदर हो या संसद के बाहर. उन्होंने कहा देश को आगे बढ़ाने में आर्थिक नीतियां ही कारगर होती हैं. मेरा आरोप है कि इसमें वर्तमान सरकार पूरी तरह विफल रही है.
ध्रुवीकरण केवल राजनीतिक कारणों से किया जाता है. सरकार और लोगों के बीच संवाद से ही समस्याओं का हल निकल सकता है. लेकिन केंद्र सरकार संवाद में यकीन नहीं रखती है. कही कि आज देश में नौकरियां नहीं है. अगर सरकारी महकमों में पद नहीं भरे जायेंगे तो युवा नौकरियों के लिए कहां जायेंगे? यह मंशा युवा, गरीब, एससी-एसटी और पिछड़ा वर्ग विरोधी है.
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— Congress (@INCIndia) May 14, 2022
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पी चिदंबरम प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोल रहे थे
पी चिदंबरम प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोल रहे थे. बता दें कि राजस्थान के उदयपुर में चल रहे कांग्रेस के नव संकल्प (चिंतन) शिविर का आज दूसरा दिन है. दूसरे दिन विचार-विमर्श से पूर्व कांग्रेस ने देश की अर्थव्यवस्था, महंगाई, बेराजगारी इत्यादि मुद्दों पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. वरिष्ठ नेता व पूर्व वित्त मंत्री पी. चिंदबरम ने इस प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया. उनके साथ पार्टी प्रवक्ता प्रोफेसर गौरव वल्लभ, सुप्रिया श्रीनेत, गौरव गोगोई समेत कई अन्य कांग्रेस नेता मंच पर उपस्थित थे.
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भारतीय अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति चिंता का विषय
पी. चिदंबरम ने भारतीय अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति को अत्यधिक चिंता का विषय करार दिया. कहा कि पिछले 8 वर्षों में विकास की धीमी दर इस सरकार की पहचान रही है. महामारी के बाद देश की अर्थव्यवस्था उदासीन और रुकी हुई है. उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति अस्वीकार्य स्तर तक बढ़ गयी है, आगामी दिनों में इसके और बढ़ने का खतरा है. थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति 14.55 प्रतिशत और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति 7.79 प्रतिशत पर है.
सरकार वास्तव में अपनी गलत नीतियों, विशेष रूप से पेट्रोल और डीजल पर उच्च करों, उच्च प्रशासित कीमतों और उच्च जीएसटी दरों के माध्यम से मुद्रास्फीति की वृद्धि को बढ़ावा दे रही है. देश में रोजगार की स्थिति कभी इतनी खराब नहीं रही है. चिंदबरम ने कहा कि बाहरी स्थिति ने अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ा दिया है.
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7 माह में 22 अरब अमेरिकी डॉलर देश से बाहर गये हैं
पिछले 7 महीनों में 22 अरब अमेरिकी डॉलर देश से बाहर गये हैं. विदेशी मुद्रा भंडार 36 अरब अमेरिकी डॉलर कम हो गया है. विनिमय दर ₹ 77.48 प्रति डॉलर है, जो अब तक का सबसे अधिक है. केंद्र-राज्यों के वित्तीय संबंधों की व्यापक समीक्षा का समय आ गया है. राज्यों की वित्तीय स्थिति इतनी नाजुक इसके पहले कभी नहीं रही. वैश्विक और घरेलू विकास को ध्यान में रखते हुए, देश की वर्तमान आर्थिक नीतियों में बदलाव पर विचार करना आवश्यक है.
27 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं
देश में 27 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं. कहा कि वर्ल्ड हंगर इंडेक्स में देश 160 देशों में 101वें स्थान पर है. कांग्रेस नेता ने कहा क सोशल सर्विसेज पर ज्यादा खर्च जरूरत है. महंगाई के लिए रूस और यूक्रेन युद्ध को जिम्मेदार ठहराना बकवास है. केंद्र और राज्य सरकारों के बीच विश्वास खत्म हो गया है. यह केवल भाजपा या अन्य दलों द्वारा शासित राज्यों का मसला नहीं है. वर्तमान केंद्र सरकार से कोई उम्मीद भी नहीं है. राज्यों को जीएसटी की राशि का भुगतान नहीं किया जा रहा है.
जीएसटी कंपनसेशन पीरियड 3 साल के लिए बढ़ाया जाये
जीएसटी कंपनसेशन पीरियड 3 साल के लिए बढ़ाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि आगामी 20-30 वर्षों के लिए आर्थिक नीतियों को रीसेट करने की जरूरत है. जनता महंगाई और नौकरियां खोने से त्रस्त है. नरेंद्र मोदी ने 2014 के चुनाव से पहले कहा था कि हम सत्ता में आये तो डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत 40 तक लायेंगे. आज डॉलर के मुकाबले रुपये की वैल्यू सबसे निचले स्तर पर है.