Pakur : आज़ादी के अमृत महोत्सव के बीच शहर के सामाज़िक कार्यकर्ताओं ने देश की आज़ादी के लिए महज 18 साल की उम्र में फांसी के फंदे को चूमने वाले शहीद क्रांतिकारी खुदीराम बोस की शहादत दिवस पर उन्हें याद किया. शहर के खुदीराम बोस चौक पर 11 अगस्त की सुबह जुटे स्थानीय सामाज़िक कार्यकर्ताओं ने खुदीराम बोस की आदमकद प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित कर उनकी शहादत को नमन किया.
वार्ड पार्षद बेला मजूमदार और सामाज़िक कार्यकर्ता मानिक चन्द्र देब ने कहा कि खुदीराम बोस में नन्हें उम्र में ही आज़ादी की दिवानगी घर कर गई थी. 18 साल के क्रांतिकारी खुदीराम बोस से अंग्रेजी हुकूमत थर-थर कांपने लगी थी. यही वजह है कि 18 साल की उम्र में ही खुदीराम को फांसी दे दी गई. ऐसे राष्ट्रनायकों को देश हमेशा याद रखेगा. आज़ की युवा पीढ़ी को खुदीराम बोस जैसे क्रांतिकारियों की जीवनी पढ़नी चाहिए. तभी देश और देश की आज़ादी की महत्ता समझ आएगी. मौके पर संतोष कुमार नाग, पार्थ मुखर्जी, चंद्र शेखर सिंह, राधेश्याम दास, सर्वेश्वर साधु, केसी दास सहित अन्य लोगों ने खुदीराम बोस की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया.
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