खेत की पगडंडियों के सहारे स्कूल जाते हैं बच्चे और शिक्षक
Satbarwa (Palamu): मिस्टर एजुकेशन मिनिस्टर जी, देखिए राज्य में शिक्षा और शिक्षा के मंदिर का क्या हाल है. आजादी के पहले से संचालित एक स्कूल की करोड़ों रुपये की लागत से बिल्डिंग तो बन गई, मगर वहां तक पहुंचने के लिए आज तक एक सड़क नहीं बनी. बच्चे खेत की पगडंडियों के सहारे स्कूल पहुंच रहे हैं. बारिश के दिनों में बच्चों की परेशानी बढ़ गई है. कीचड़ और खेतों में उगे झाड़ के बीच से होकर बच्चों को स्कूल जाना पड़ रहा है. यह स्कूल है पलामू जिले के सतबरवा प्रखंड से करीब 15 किलोमीटर दूर सुदूरवर्ती क्षेत्र के सोहड़ी गांव में. स्कूल का नाम है स्तरोन्नत प्लस-टू उच्च विद्यालय. यहां वर्ग 1 से 12वीं तक की पढ़ाई होती है.
बताते चलें कि यह विद्यालय आजादी से पूर्व 1940 से ही स्थापित है, जो उस वक्त प्राथमिक था. जिसे 2017 में प्लस-2 कर दिया गया. लेकिन अब तक स्कूल को एक सड़क नसीब नहीं हुई. हालांकि स्कूल में वह सारी सुविधाएं उपलब्ध है, जो एक निजी विद्यालय में होनी चाहिए. यहां पर स्मार्ट क्लासरूम , कंप्यूटर लैब, टैब लैब, विज्ञान प्रयोगशाला भी है. इस स्कूल में पर्याप्त संख्या में शिक्षकों की भी प्रतिनियुक्ति है. स्कूल की बड़ी अपनी बिल्डिंग है, जहां पढ़ाई से जुड़ी हर चीज मौजूद है.
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मगर एक सड़क के बिना सब फीका है. स्कूल में किताब, एमडीएम का चावल, मरम्मति का सामान या फिर कोई अन्य भारी भरकम सामान अगर स्कूल ले जाना हो तो शिक्षक और विद्यालय प्रबंधन समिति के सदस्यों के पसीने छूट जाते हैं. खेत की पगडंडियों के सहारे ही स्कूल जाना पड़ता है. हल्की सी बारिश हो गई तो मास्टर साहब और छात्र-छात्राओं को जूता-चप्पल हाथ में टांगकर जाना पड़ता है.
इस संबंध में विद्यालय के प्रधानाध्यापक भरदुल कुमार सिंह बताते हैं कि वर्ष 2017 से वे यहां हैं. उन्होंने काफी प्रयास किया कि स्कूल तक पहुंचने के लिए एक सड़क बन जाए, लेकिन लाख प्रयास के बाद भी आज तक सड़क नहीं बनी. वह बताते हैं कि इसका मुख्य कारण है कि रास्ता रैयती जमीन में है. ग्रामीणों रास्ते के लिए अपनी जमीन नहीं देना चाहते हैं. जबकि सरकारी जमीन जो सड़क के लिए थी, उसका कोई अता पता नहीं है. कई बार अधकारियों को भी इससे अवगत कराया गया है, मगर कुछ नहीं हुआ.
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