Deepak Ambastha
संसद का मॉनसून सत्र संसदीय लोकतंत्र का मखौल से अधिक कुछ नजर नहीं आता है. पेगासस जासूसी और कृषि कानून दो मुद्दों पर सारी संसदीय परंपराएं तार-तार हो रही हैं, संसद,संसद कम और रंगमंच अधिक दिखती है. राजनीति के महान कलाकार देश के सामने अद्भुत दृश्य उपस्थित कर रहे हैं. सत्ता पक्ष विपक्ष को और विपक्ष सत्ता पक्ष को हंगामा और कोई काम नहीं होने के लिए दोषी ठहरा रहा है. इस हंगामे में आम जनता की गाढ़ी कमाई लुट रही है. 19 जुलाई से आरंभ हुए सत्र का 3 अगस्त तक का समय हंगामे की भेंट चढ़ गया है, ध्यान रहे कि संसद सत्र चलने के दौरान हर 15 मिनट पर औसतन 40 लाख रुपए खर्च होते हैं, आप समझ सकते हैं जिस सत्र के बारह दिन हंगामे में होम हो चुके हों तो बर्बाद होने वाली रकम सैकड़ों करोड़ रुपए में बैठती है.
विपक्ष के हाथ कृषि कानून का मुद्दा पहले से ही था, कृषि कानूनों पर बहस हो भी सकती है क्या अच्छा क्या बुरा, किसका फायदा किसका नुकसान लेकिन पेगासस जासूसी मामले में सरकार का रुख समझ से बाहर है.
सरकार से मांग है कि क्या पेगासस के माध्यम से भारत में महत्वपूर्ण लोगों की जासूसी हुई है, क्या लोगों के फोन टैप किए गए हैं, क्या इसके पीछे सरकार है यदि नहीं तो कौन है? विपक्ष अपने सवालों के जवाब को लेकर संसद नहीं चलने दे रहा है, संसद से सड़क तक हंगामा है पर सरकार इस मुद्दे पर कुछ भी साफ नहीं कर रही है. मंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक कह रहे हैं कि विपक्ष संसद चलने नहीं दे रहा है,विधायी कार्य नहीं हो पा रहे हैं विपक्ष के आचरण से संसद और जनता का अपमान हो रहा है.
सरकार की यह दलील बेईमानी है, सरकार को संसद और जनता के सम्मान की चिंता है तो वह पेगासस जासूसी मामले की जांच की घोषणा क्यों नहीं करती है, ताकि संसद चले और देश हित के काम निपटाए जा सकें, जनता की गाढ़ी कमाई का सदुपयोग हो.
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सरकार में शामिल जनता दल यूनाइटेड के नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पेगासस जासूसी मामले की जांच की मांग कर सरकार की फजीहत कर दी है, यह मामला सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में मंजूर कर लिया गया है. अब सरकार के पास बचा क्या है ? सुप्रीम कोर्ट इसकी सुनवाई करेगा और उसका निर्णय केन्द्र सरकार के रवैए के खिलाफ होता है तो फिर सरकार क्या करेगी,अपना चेहरा कैसे बचाएगी यह तो आने वाला समय ही बताएगा पर अब जो हालात हैं राजनीति में उससे यह उम्मीद ही बेमानी है कि कोई शर्मसार होगा.
सरकार जासूसी मामले में पाक साफ़ है तो फिर जांच का आदेश क्यों नहीं ?, दुनिया के कई देशों में पेगासस जासूसी की आंच पहुंची है और फ्रांस जैसे देश ने तो जांच का आदेश भी दे दिया है फिर लोकतंत्र और लोकतांत्रिक परंपराओं की दुहाई देने वाली नरेंद्र मोदी सरकार जांच से कतरा क्यों रही है? कांग्रेस के भ्रष्टाचार और अनैतिक आचरण के खिलाफ लड़ाई लड़कर सत्ता में आने वाली भारतीय जनता पार्टी का यह कैसा आचरण ?
केंद्र सरकार कई मुद्दों पर घिर रही है उसके पास थोथे तर्कों के अलावा कुछ ठोस नजर नहीं आता. मामला ऐसे ही चला तो मोदी सरकार के लिए तेजी से गिरते जन समर्थन की रफ्तार और तेज़ हो सकती है फिर इसका परिणाम क्या होगा यह कहने की जरूरत नहीं होनी चाहिए.
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