NewDelhi : कानून मंत्री किरेन रीजीजू ने आज रविवार को उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश के विचारों का समर्थन किया , जिन्होंने कहा था कि उच्चतम न्यायालय ने खुद न्यायाधीशों की नियुक्ति का फैसला कर संविधान का अपहरण किया है. जान लें कि वर्तमान समय में उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर सरकार और न्यायपालिका के बीच रार बढ़ी है.
Actually majority of the people have similar sane views. It’s only those people who disregard the provisions of the Constitution and mandate of the people think that they are above the Constitution of India.
— Kiren Rijiju (@KirenRijiju) January 22, 2023
न्यायमूर्ति आरएस सोढ़ी (सेवानिवृत्त) के साक्षात्कार का वीडियो साझा किया
रीजीजू ने दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस सोढ़ी (सेवानिवृत्त) के एक साक्षात्कार का वीडियो साझा करते हुए कहा कि यह एक न्यायाधीश की आवाज है और अधिकतर लोगों के इसी तरह के समझदारीपूर्ण विचार हैं. साक्षात्कार में न्यायमूर्ति सोढ़ी कह रहे हैं कि कानून बनाने का अधिकार संसद के पास है. कानून मंत्री ने कहा कि वास्तव में अधिकतर लोगों के इसी तरह के समझदारीपूर्ण विचार हैं.
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कुछ लोग हैं, जो जनादेश की अवहेलना करते हैं
केवल कुछ लोग हैं, जो संविधान के प्रावधानों और जनादेश की अवहेलना करते हैं और उन्हें लगता है कि वे भारत के संविधान से ऊपर हैं. मंत्री ने ट्वीट किया, भारतीय लोकतंत्र की असली खूबसूरती इसकी सफलता है. लोग अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से खुद पर शासन करते हैं. चुने हुए प्रतिनिधि लोगों के हितों का प्रतिनिधित्व करते हैं और कानून बनाते हैं. हमारी न्यायपालिका स्वतंत्र है और हमारा संविधान सर्वोच्च है.
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केवल संसद ही संविधान में संशोधन करेगी.
साक्षात्कार में न्यायमूर्ति सोढ़ी ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट कानून नहीं बना सकता, क्योंकि उसके पास ऐसा करने का अधिकार नहीं है. उन्होंने कहा कि कानून बनाने का अधिकार संसद का है. न्यायमूर्ति सोढ़ी ने कहा, क्या आप संविधान में संशोधन कर सकते हैं? केवल संसद ही संविधान में संशोधन करेगी. लेकिन यहां मुझे लगता है कि उच्चतम न्यायालय ने पहली बार संविधान का अपहरण कर लिया.
कॉलेजियम प्रणाली भारतीय संविधान के प्रतिकूल
अपहरण करने के बाद उन्होंने (उच्चतम न्यायालय) कहा कि हम (न्यायाधीशों की) नियुक्ति खुद करेंगे और इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं होगी. उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति को लेकर कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच टकराव बढ़ने के बीच रीजीजू ने न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम प्रणाली को भारतीय संविधान के प्रतिकूल बताया है.
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम (एनजेएसी) और एक संबंधित संविधान संशोधन को रद्द करने के लिए शीर्ष अदालत (सुप्रीम कोर्ट) पर सवाल उठाया है. उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्तियों को मंजूरी देने में देरी पर भी शीर्ष अदालत ने सरकार से सवाल किया है.