Jamshedpur : पूर्वी सिंहभूम जिले में रंगीन मछली पालन के प्रति लोगों का आकर्षण बढ़ा है. जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में लोग इस व्यवासाय के प्रति रुचि दिखा रहे हैं. साथ ही इस व्यवसाय से मोटी कमाई कर रहे हैं. ग्रामीण महिलाएं खासकर अनुसूचित जाति एवं जनजाति की महिलाओं को इस व्यवसाय के लिए भारी-भरकम छूट भी मिल रही है. ऐसा उन्हें प्रोत्साहन देने एवं उनको स्वावलंबी बनाने के लिए किया जा रहा है. पूर्वी सिंहभूम जिले में उक्त श्रेणी की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हें रंगीन मछली पालन की ट्रेनिंग भी दी जा रही है. जिला मत्स्य पालन पदधिकारी सह मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी पी भार्गवी ने बताया कि रंगीन मछली पालन के प्रति लोगों की रुचि बढ़ रही है. इस व्यावसाय से लोग अच्छी-खासी आमदनी कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि जिले में ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को इस कारोबार से जोड़ा जा रहा है. उन्होंने बताया कि केंद्रीय अन्तर्स्थलीय मत्स्य अनुसंधान संस्थान की ओर से मत्स्य पालकों को ट्रेनिंग के साथ-साथ रंगीन मछली का बीज उपलब्ध कराया जा रहा है. रंगीन मछलियों में प्रोटीन एवं जरूरी पोषक तत्व पाए जाते हैं. उन्होंने कहा कि पहले से जो मत्स्य पालक देशी मछलियों का पालन कर रहे है, वे रंगीन मछलियों को भी पाल सकते है.
25 महिलाओं को प्रदान किया गया मछली पालन किट
जिला मत्स्य पालन पदाधिकारी ने बताया कि जिले की अनुसूचित जाति एवं जनजाति की महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए पोटका और बोड़ाम प्रखंड की 25 आदिवासी महिलाओं को मछली पालन किट प्रदान किया गया. किट में मछली का बीच, एक जालीनुमा एफआरपी टैंक, रेटर, फिल्टर कॉरटाइन टैंक, ऑक्सीजन मोटर शामिल है. इसे घर के एक कोने में रखकर कारोबार शुरू किया जा सकता है. सभी मछलियां ऑटोब्रिज की हैं. जिससे ब्रिडिंग कराने में समस्या नहीं हो. मछली को कॉरेंटिन करने और बेचने के लिए जाल की भी सुविधा दी गयी है. जिला मत्स्य पदाधिकारी की मानें, तो इसे पोटका एवं बोड़ाम प्रखंड में पायलट प्रोजेक्ट के तहत शुरू किया गया है.