Deepak Ambastha
राजनीति में नवजोत सिंह सिद्धू आजमाई हुई मुसीबत हैं, कांग्रेस को यह बात शायद समझ आने लगी हो ?
जिस किसी राजनीतिक दल में शामिल हुए उसकी फजीहत कर दी अब कांग्रेस की बारी है.सिद्धू की शिकायत आ रही थी कि वह बेलगाम हैं धीरे-धीरे शिकायत ने झगड़े और विवाद का रूप ले लिया. पंजाब कांग्रेस और राज्य के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह परेशान हो गए तो कांग्रेस के अघोषित सत्ता केंद्र राहुल गांधी और सोनिया गांधी ने सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंप दी, मुख्यमंत्री ने दो क़दम आगे बढ़ने के लिए एक क़दम पीछे हटना मंजूर कर लिया, लगा सिद्धू की बल्ले-बल्ले हो गई, लेकिन राजनीति के मंजे खिलाड़ी और मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह को पता था सिद्धू अपनी रौ में गलती करेंगे, ऐसा हुआ भी सिद्धू के दो सलाहकारों मलविंदर सिंह माली और प्यारे लाल गर्ग ने न केवल देश विरोधी बयान दिए बल्कि राहुल गांधी की दादी और सोनिया गांधी की सास देश की पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की फजीहत करने से भी बाज नहीं आए.
जब अति हो गई तो पार्टी की नींद खुली. पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत ने चेतावनी जारी की कि सिद्धू अपने सलाहकारों को नियंत्रित करें खैर उनका इस्तीफा हुआ तो अब नवजोत सिंह सिद्धू पजामे से बाहर हो गए हैं, उन्होंने पंजाब कांग्रेस की ईंट से ईंट बजाने की घोषणा कर दी, प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा ने कांग्रेस की मिट्टी पलीद कर दी है.राहुल और सोनिया अभी वाया मीडिया चल रहे हैं और सिद्धू खुल कर बैटिंग कर रहे हैं.
सिद्धू का बड़बोलापन और मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की शातीर चालों से प्रदेश प्रभारी हरीश रावत भी बेचैन हैं कैप्टन दायरे में रहकर खेल रहे हैं तो प्रदेश अध्यक्ष मैदान रौंदने में लगे हैं हालत को देखते हुए हरीश रावत ने राहुल गांधी से मुलाकात की और डेढ़ घंटे वहां बैठ कर सारी जानकारी दी है, देखना है कि राहुल गांधी ने जिस चिड़िया (नवजोत सिंह सिद्धू) को उड़ाया है, उसके पर कतरते हैं या आजाद छोड़ते हैं, पंजाब में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं हालत यही रही तो यहां कांग्रेस की ईंट से ईंट बजते देर नहीं लगेगी.
कांग्रेस आलाकमान के रुख़ पर कांग्रेस नेता मनीष तिवारी का ट्वीट दीगर है कि “हम आह भी भरते हैं तो हो जाते हैं बदनाम वो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होती ”
हालत को समझने के लिए मनीष तिवारी का दर्द काफी है पर क्या आलाकमान इसे समझेगा ? पंजाब में सिद्धू खेमा बेलगाम है अब उसने प्रदेश प्रभारी हरीश रावत पर हमला बोला है और पूछा है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किसका है और कब लिया गया है हरीश रावत ने यह बयान कैसे दिया कि चुनाव कैप्टन के नेतृत्व में लड़ा जाएगा.
कांग्रेस अंतर्कलह से निपटने में कहीं से गंभीर नजर नहीं आती है पंजाब, छत्तीसगढ़ और राजस्थान तीनों राज्यों में सिर फुटौव्वल जारी है और आलाकमान मज़े की नींद में है. यही हाल रहा तो भाजपा ने जो कांग्रेस मुक्त भारत का नारा दिया है उसे सही होने में समय नहीं लगेगा.