Ranchi : राजधानी रांची के कांके स्थित रिनपास (मानसिक रोग चिकित्सा) संस्थान से ठीक होने वाले मरीजों को डिस्चार्ज होने के बाद सीधे घर नहीं भेजा जाता, बल्कि रिनपास में बने हाफ-वे-होम में रखा जाता है. जहां व्यवहारिक ज्ञान सिखाया जाता है, ताकि मरीज घर जाकर अच्छा व्यवहार कर सके. रिनपास में पुरुष और महिला के लिए दो अलग अलग हाफ-वे-होम बनाया गया है. जिनमें पुरुष और महिला वार्ड में लगभग 36 मरीजों को काउंसलिंग के लिए रखा गया है, जिन्हें ठीक होने के बाद घर भेजा जाएगा.
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मरीजों को दिया जाता है खेलकूद और पूजा-पाठ का ज्ञान
रिनपास में बने हाफ वे होम में मरीजों को मनोचिकित्सक, काउंसलर, योग शिक्षक के द्वारा व्यवहारिक ज्ञान सिखाया जाता है. खेलकूद, पूजा-पाठ के साथ-साथ उन्हें घर में कैसे रहा जाता और बड़े-छोटों से कैसे व्यवहार किया जाता है, इसके बारे में बताया जाता है. साथ ही गुस्से पर कैसे काबू पाना है और अपना काम कैसे करना है, इसके बारे में भी बताया जात है. यह व्यवस्था मरीजों के लिए नि:शुल्क है.
ठीक होने के बाद जरूरी है काउंसलिंग : डॉ सिद्धार्थ सिन्हा
मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ सिद्धार्थ सिनहा ने कहा कि हर बीमारी का इलाज तुरंत हो जाता है और वह मरीज व्यवहारिक जीवन में लौट आता है. लेकिन मानसिक रोग, एक ऐसा रोग है, जो जल्दी ठीक नहीं होता. ठीक होने के बाद भी मरीज आम जीवन में तुरंत लौट नहीं पाता है. ऐसे में घर जाने से पहले उन्हें काउंसलिंग की जरूरत होती है, ताकि उन्हें व्यवहारिक जीवन का पूरा ज्ञान हो सके.
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