LagatarDesk : पटना महावीर मंदिर को मिला ब्लेजफुल हाईजीन ऑफरिंग टू गॉड का प्रमाण पत्र. खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण- FSSAI ने मंदिर को दिया सर्टिफिकेट. बिहार की राजधानी पटना के रेलवे स्टेशन के पास महावीर मंदिर की प्रसिद्धि जगजाहिर है. भव्य मंदिर और यहां का महात्म्य इसे और भी पावन बनाता है. साथ ही यहां लगने वाला भोग लोगों में खासा लोकप्रिय है. यह इतना स्वादिष्ट और पावन होता है कि जितना खा लो, जी नहीं भरता. और अब तो इसे शुद्धता की गारंटी भी मिल चुकी है. जी हां, पटना महावीर मंदिर का भोग नैवेद्यम एकदम शुद्ध है. यह सर्टिफिकेट मिलने के बाद महावीर मंदिर पटना देश का ऐसा 10वां मंदिर हो गया है, जहां लगने वाले भोग को FSSAI ने प्रमाण पत्र प्रदान किया है.
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FSSAI के CEO ने कहा- महावीर मंदिर का भोग पूरी तरह हाइजेनिक और शुद्ध
Food Safety and Standards Authority of India- FSSAI के CEO ने यह सर्टिफिकेट जारी किया है. उन्होंने कहा कि महावीर मंदिर में भगवान को लगाया जाने वाला भोग एकदम शुद्ध और हाइजेनिक है. इसके लिए जांच की लंबी प्रक्रिया है. इसे पूरी करने के बाद ही सह प्रमाण-पत्र महावीर मंदिर के प्रसाद नैवेद्यम को दिया गया है.
FSSAI की टीम ने की थी जांच
खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारियों ने महावीर मंदिर में हनुमान को लगाए जाने वाले नैवेद्यम की जांच की थी. कई दिनों तक चली जांच में इसके निर्माण की प्रक्रिया और स्थान के साथ भगवान को भोग लगाए जाने की पूरी प्रक्रिया की जांच की थी. जांच में कहीं से कोई शिकायत नहीं मिली थी. इसके बाद इसकी रिपोर्ट FSSAI को भेजी गई थी. FSSAI के CEO ने इस रिपोर्ट के आधार पर ब्लेजफुल हाइजीन आफरिंग टू गॉड का प्रमाण-पत्र जारी किया है.
बिहार के लिए गर्व की बात
प्रमाण पत्र मिलने के बाद बिहार राज्य खाद्य सुरक्षा विभाग के नोडल का कहना है कि यह बिहार के लिए गर्व की बात है. बिहार फूड सेफ्टी विभाग के नोडल ने बताया कि देश के 9 मंदिरों के प्रसाद को ही ब्लेजफुल हाइजीन आफरिंग टू गॉड BHOG का प्रमाण-पत्र मिला है. देश के टॉप टेन मंदिरों के भोग में पटना के महावीर मंदिर में हनुमान को लगाया जाने वाला भोग नैवेद्यम भी शामिल हो गया है. बिहार का पहला और देश का 10 वां मंदिर ऐसा है, जहां के प्रसाद को प्रमाण पत्र मिला है.
एक बार जो खा ले, वह उम्रभर स्वाद नहीं भूलता
महावीर मंदिर पटना की पहचान नैवेद्यम से है. देशी घी, बेसन, केसर और मेवे से बने प्रसाद ‘नैवेद्यम’ का भोग भगवान हनुमान को लगता है और इस प्रसाद का स्वाद बेहद अनूठा होता है. एक बार स्वाद चखने वाले को पूरी उम्र प्रसाद नहीं भूलता है. इस प्रसाद से लोगों की गहरी आस्था जुड़ी है. स्वाद के साथ इसकी शुद्धता और पवित्रता का प्रमाण अब FSSAI ने भी दे दिया है.
महावीर मंदिर न्यास समिति के सचिव आचार्य किशोर कुणाल का कहना है कि महावीर मंदिर में नैवेद्यम की शुरुआत वर्ष 1993 में हुई थी. आचार्य का कहना है कि 1993 में वह तिरुपति मंदिर दर्शन करने गए थे. वर्ष 1993 में वह गृह मंत्रालय के अधीन अयोध्या में ओएसडी के पद पर तैनात थे. तिरुपति में नैवेद्यम चढ़ाकर प्रसाद ग्रहण किया तो उसका स्वाद काफी पसंद आया. उसी समय निर्णय लिया कि पटना जंक्शन स्थित महावीर मदिर में भी इसे प्रसाद के रूप में हनुमान को भोग लगाया जाएगा.
ऐसे भोग बनाते हैं तिरुपति के कारीगर
महावीर मंदिर न्यास समिति नैवेद्यम की कुल बिक्री की 10 प्रतिशत राशि प्रसाद बनाने वाले कारीगरों को देती है. यही कारण है कि तिरुपति से आकर कारीगर पटना में काम करने को तैयार हैं. अब तो कारीगरों की संख्या भी बढ़ा दी गई है. सबसे पहले शुद्ध बेसन से बुंदिया तैयार की जाती है. इसके बाद चीनी की चासनी में डालकर उसे अच्छी तरह से मिलाया जाता है. मिलाने की प्रक्रिया के दौरान ही काजू, किशमिश, इलाइची और केसर मिलाया जाता है. दो घंटे तक बूंदी को चासनी और मेवा में मिलाया जाता है.
इसके बाद इस मिश्रण को लड्ड् बाधने वाले प्लेटफॉर्म पर फैलाकर थोड़ी देर के लिए रखा जाता है. 15 मिनट बाद प्लेटफार्म पर एक साथ 15 से 20 कारीगर खड़े होकर लड्डू बाधते हैं. लड्डू बनाने में नियम का भी पालन होता है. यहां बैठकर लड्डू बनाने पर पाबंदी है. राजधानी के बुद्ध मार्ग में एक कारखाना तैयार किया गया है. यहा पर प्रतिदिन तीन दर्जन से अधिक ब्राह्मणों द्वारा प्रसाद तैयार किया जाता है.
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