Patna: बिहार सरकार राजगीर की साइक्लोपियन दीवार को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल में सूचीबद्ध कराने के लिए प्रयत्नशील है. पुरातत्व निदेशालय ने कोशिश शुरू कर दी है. इस बार नयी विशेषताओं के साथ प्रस्ताव भेजा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इस दीवार के बारे में बोल चुके हैं.
बिहार सरकार ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को राजगीर के 2500 साल से अधिक पुरानी साइक्लोपियन दीवार को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल में सूचीबद्ध करने के लिए एक नया प्रस्ताव भेजा है. इस दीवार में चूना पत्थर का उपयोग किया गया था. अब इस दीवार के अवशेष बचे हैं. यह दीवार 4 मीटर ऊंची और 40 किलोमीटर लंबी है. इसे तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से पहले बनाया गया था. पुरातत्व निदेशालय के निदेशक दीपक आनंद ने कहा कि यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल में साइक्लोपियन दीवार को सूचीबद्ध करने का प्रयास जारी है. हमने एएसआई को साइक्लोपियन दीवार के ऐतिहासिक महत्व और विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए एक नया प्रस्ताव प्रस्तुत किया है.
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यह दीवार मौर्य साम्राज्य की विरासत है
कहा कि यह दीवार दुनिया में साइक्लोपियन चिनाई के सबसे पुराने उदाहरणों में से एक है. इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल में सूचीबद्ध किया जाना चाहिए. कहा कि हमने साइक्लोपियन दीवार को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल का टैग देने का प्रस्ताव भेजा था. लेकिन इसे स्वीकार नहीं किया गया. इस बार उम्मीद है कि इस दीवार को यूनेस्को का टैग मिलेगा. यह दीवार मौर्य साम्राज्य की विरासत है. इसे उस वंश के शासकों ने बाहरी आक्रमणकारियों से राजधानी की रक्षा के लिए बनाया था. उस दौर में राजगीर बहुत समृद्ध हुआ करता था. इस पर विदेशी आक्रांताओं की नजर रहती थी. आक्रमण का खतरा बना रहता था. राजा बिंबिसार और उनके पुत्र आजातशत्रु के काल मे इस दीवार को बनाया गया था.
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