Shakeel Ahmed
Lohardaga: दुर्गापूजा व दीपावली संपन्न होने के साथ ही लोक आस्था का महापर्व छठ की तैयारी शुरू हो गयी है. लोक आस्था के इस महापर्व से खास तौर पर जुड़े तुरी समुदाय के लोग भी बड़े पैमाने पर सूप और दउरा बनाने के कार्य में जुट गए हैं. तुरी समुदाय के लोग ही बांस के सूप और दउरा का निर्माण करते हैं, जिसका छठ पर्व में सबसे ज्यादा महत्व है. बांस से बने सूप और दउरा को सबसे शुद्ध माना जाता है. इसी से अर्घ्य अर्पण कर छठव्रती भगवान सूर्य को प्रसन्न करती हैं. प्रखंड के भौरों, जमगाईं आदि गावों मे तुरी मुहल्ला में दर्जनों परिवार इन दिनों सूप और दउरा बनाने के कार्य में जुटे हुए हैं.
छठ से एक बार फिर आमदनी की जगी उम्मीद
बांस के सूप, दउरा तैयार करने में जुटी पंचम तुरी ने बताया कि दशहरा, दीपावली में जिस तरह से लोगों में उत्साह देखा गया था, उससे छठ में भी बेहतरी की उम्मीद जगी है. उन्होंने बताया कि लाॅकडाउन और कोरोना मे उनका व्यवसाय बूरी तरह से प्रभावित हुआ था, चैती छठ में इस बार कारोबार नहीं हो सका था. बसंत तुरी ने बताया कि कुछ वर्षो से धंधा ठीक नहीं चलने के कारण बुझे मन से सूप और दउरा तैयार कर रहे हैं. महाजन से कर्ज लेकर पुश्तैनी व्यवसाय में पूंजी लगाई है। इस बार छठ मइया से उम्मीद, आशा है कि सूप-दउरा की अच्छी बिक्री हो.
पिछले वर्ष की तुलना इस वर्ष बांस की कीमत बढ़ी
बांस की बाहर निर्यात होने से क्षेत्र में इसकी कीमत भी बढ़ गई है. ब्रजेश तुरी, शिवा तुरी, अशोर तुरी, परशु तुरी आदि ने बताया कि बांस की कीमत में बढ़ोतरी के कारण उनका मुनाफा कम होने की उम्मीद है. उन्होंने बताया कि पिछले साल की तुलना में इस बार बांस की कीमत 20-25 प्रतिशत बढ़ गई है और आवक भी कम हुई है. अगर सब कुछ अच्छा रहा तो ठीक, नहीं तो चैती छठ की तरह कार्तिक छठ में भी उनका धंधा मंदा रहेगा. उन्होंने बताया कि खासकर इस मुहल्ले में दर्जनों परिवार सिर्फ इसी कारोबार पर जीवित हैं.
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