Bhojpur : बिहार के भोजपुर से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया. मगर इस मामले पर भोजपुर सिविल सर्जन का जो बयान आया, वह उससे भी हैरान करने वाला है. दरअसल भोजपुर में मोबाइल के टॉर्च की रोशनी में एक बच्ची का पोस्टमार्टम किया गया. पोस्टमार्टम हाउस रहने के बावजूद भी भवन के बरामदे में नीचे रखकर बच्ची के शव का पोस्टमार्टम किया गया है. इसपर मृत बच्ची के परिजनों ने नाराजगी जतायी. वहीं सीएस ने कहा कि चोर बार-बार बिजली का तार काट देते हैं, इस वजह से परेशानी हुई.
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दरअसल भोजपुर के सहार थाना क्षेत्र के बरुही गांव के वार्ड नंबर-4 के निवासी राजू राय की दस वर्षीय बेटी शिखा कुमारी सोन नदी में नहाने के दौरान डूब गई थी. आनन-फानन में परिजन बच्ची के शव को नदी से निकालकर सहार पीएचसी ले गए, जहां डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया था. परिजनों ने बताया कि बॉडी को पोस्टमार्टम के लिए आरा सदर अस्पताल ले गए. जहां घंटों इंतजार करना पड़ा. तीन घंटे से ज्यादा समय बीत जाने के बाद डॉक्टर पोस्टमार्टम करने के लिए आए. मगर उस वक्त सदर अस्पताल में बिजली नहीं थी. डॉक्टर ने अंधेरे में ही भवन के बरामदे में नीचे रखकर मोबाइल के टॉर्च की रोशनी में बच्ची के शव का पोस्टमार्टम कर दिया. इस संबंध में ऑन ड्यूटी डॉक्टर आशुतोष कुमार ने कहा कि लाइट नहीं थी, हमने कई बार प्रबंधन को इसकी सूचना दी, मगर कोई पहल नहीं की गई. इसके बाद इमरजेंसी के तहत बच्ची के शव का पोस्टमार्टम किया गया.
मामला संज्ञान में आते ही DM राजकुमार ने जांच का आदेश सिविल सर्जन को दिया है. मामले में जिले के सिविल सर्जन डॉक्टर राम प्रीत सिंह ने कहा कि रात में नियमतः पोस्टमार्टम नहीं होना चाहिए. इमरजेंसी केस में ही रात में पोस्टमार्टम किया जाता है. जहां तक लाइट नहीं रहने का सवाल है तो चोर बराबर बीच-बीच में बिजली की तार काट देते हैं. इस वजह से परेशानी होती है. फिलहाल बिजली को दुरुस्त कर दिया गया है. इमरजेंसी केस होने के कारण डॉक्टर द्वारा बढ़िया टॉर्च मंगाकर एवं मोबाइल के लाइट में बच्ची के शव का पोस्टमार्टम किया गया. उन्होंने कहा कि पोस्टमार्टम का मॉडल भवन अभी तैयार नहीं है. जल्द ही उसे तैयार कर लिया जाएगा.
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