Dhanbad: बुधवार को गुरु गोविंद सिंह की जयंती के अवसर पर दुमका के बैंक मोड़ गुरुद्वारा में प्रकाश पर्व का आयोजन किया गया. प्रकाश पर्व के अवसर पर सिख समुदाय ने प्रभात फेरी निकाली और गुरुद्वारों में शबद-कीर्तन का आयोजन किया गया. इसके बाद लोगों ने एक दूसरे को प्रकाश पर्व की बधाई दी. प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में जिले के सभी गुरुद्वारों को सजाया गया है. गुरुद्वारों में सिखों के अलावा अन्य लोग भी मत्था टेकने जा रहे हैं. कोरोना के कारण इस साल सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा रहा है. हर गुरुद्वारे में कोरोना गाइडलाइन का भी पालन किया जा रहा है.
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रागियों ने किया शबद कीर्तन
रागियों ने चोजी मेरे गोविंदा, चोजी मेरे प्यारिया का गायन करते हुए कहा कि गुरु गोविंद सिंह का वर्णन हर जगह मिलता है. उसके बाद दूसरे शबद देह शिवा वर मोहे इहे, शुभ करमन ते कबहूं ना डरों का गायन करते हुए अरदास की है कि वाहेगुरू मुझे इतना बल दे कि मैं शुभ कर्म करने में कभी पीछे नहीं हटूं. ज्ञानी कुलविंदर सिंह ने कथा वाचन किया. कीर्तन दरबार के बाद लंगर भी वरताया गया. सिख समाज सुबह से ही गुरुद्वारों में मत्था टेकने पहुंच रहा है.
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सिखों के 10वें गुरु थे गोविंद सिंह
गुरु गोविंद सिंह सिखों के 10वें गुरु थे. इनका जन्म पौष मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को पटना साहिब में हुआ था. इनके बचपन का नाम गोविन्द राय था. गुरु गोबिंद ने बैसाखी के दिन खालसा पंथ की स्थापना की थी. जो सिखों के इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है.
इन्होंने धर्म की रक्षा के लिए अपने पूरे परिवार का बलिदान कर दिया था. सवा लाख से एक लड़ाऊं चिडियों सौं मैं बाज, तबे गोबिंदसिंह नाम कहाऊं. इस पंक्ति के जनक गुरु गोविंद सिंह हैं. उनके अनुसार शक्ति और वीरता के संदर्भ में एक सिख सवा लाख लोगों के बराबर है.
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