LagatarDesk: केंद्र सरकार भारत की सामाजिक आर्थिक जातीय जनगणना (SECC) 2021 के मापदंडों में संशोधन कर सकती है. SECC 2021 डेटा एकत्र करने का उद्देश्य सामाजिक और आर्थिक लाभ लेने वाले लाभार्थियों की संख्या को कम करना हो सकता है. किसी भी देश के नीति निर्धारण के लिये देश के नागरिकों की सही जनसंख्या का जानकारी होना अति आवश्यक है. जनगणना पूरी होते ही 3 साल में डेटा तैयार किया जायेगा.1931 के बाद से इस तरह की डेटा एकत्र करने वाली यह पहली जनगणना होगी. हालांकि 2013 में सामाजिक आर्थिक जनगणना की गयी थी.
जनगणना 2021 के दौरान अन्य पिछड़ा वर्गों पर डेटा एकत्र करने पर ज्यादा फोकस किया जायेगा. जनगणना में आयोजित आंकड़ों का उपयोग विभिन्न पिछड़े वर्गों को आरक्षण देने के लिये किया जा सकता है. इस गणना के आधार पर सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्तर पर लोगों को अलग-अलग वर्ग में रखा जायेगा और इसी अधार पर इसमें बदलाव किया जा सकता है.पहले तो मोदी सरकार ने देश से आरक्षण हटाने की बात की थी. लेकिन देश से आरक्षण हटाने से वैसे लोगों को मुश्किलें हो सकती थी जिनको सही मायने में इसकी आवश्यकता है.
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ग्रामीणों पर फोकस
अपवर्जन-समावेशन मानदंड में संशोधन किया जा सकता है. इसके लिये कुछ जिलों में पायलट शुरू किया जा सकता है. कुछ जरुरी चीजों जैसे पोषण, हेल्थकेयर, शिक्षा, जागरुकता, पेयजल की सुविधाओं को नये मानदंड में शामिल किया जा सकता है. इसमें बहुआयामी गरीबी सूचकांक पर भी ध्यान दिया जायेगा.
पहला SECC डेटा 2016 में सरकार द्वारा बहिष्कृत और समावेशी मानदंडों के आधार पर विभिन्न सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं के लिए लाभार्थियों की पहचान करने के लिए उपयोग किया गया था. SECC 2011 ने 13 स्वचालित एक्जाम पैरामीटर्स,पांच स्वत: समावेशी पैरामीटर्स और सात अभाव मापदंड के आधार पर हाउसहोल्ड की पहचान की गयी थी.17.91 करोड़ ग्रामीण घरों में 7.05 करोड़ हाउसहोल्ड स्वत: अपवर्जन वर्ग,16.5 लाख 10.69 करोड़ हाउसहोल्ड स्वत: समावेशन वर्ग में, 106.9 मिलियन अभाव वर्ग में आते हैं.