Patna : बिहार के दो शिक्षकों को राष्ट्रपति कोविंद सम्मानित करेंगे. यह सम्मान दिल्ली में 5 सितंबर को किया जायेगा. बिहार के जिन दो शिक्षकों का चयन किया गया है. उनमें मधुबनी के राजनगर स्थित राजकीय माध्यमिक पाठशाला की शिक्षिका चंदना दत्त और कैमूर जिले के रामगढ़ स्थित आरके मिडिल स्कूल के कार्यवाहक प्रधानाध्यापक हरिदास शर्मा हैं. इन दो शिक्षकों का चयन होना राज्य के लिए गौरव की बात है.
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एक पदक, एक प्रमाण पत्र और 50,000 रुपये दिया जायेगा
शिक्षा मंत्रालय द्वारा बुधवार को एक सूची जारी की गई है. जिसमें 44 शिक्षकों को शामिल किया गया है. जो राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किये जायेंगे. इस सम्मान समारोह में शिक्षकों को एक पदक, एक प्रमाण पत्र और 50,000 रुपये का नकद पुरस्कार दिया जायेगा. जिन भी शिक्षकों को सम्मानित किया जायेगा वो सभी शिक्षा के क्षेत्र में अहम योगदान देने वाले है. बता दें कि टीर्चस डे के दिन हर साल शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार दिया जाता हैं.
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2005 में एक भी लड़कियां स्कूल नहीं आती थी
राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चयनित होने के बाद शिक्षिका चंदना ने बताया कि वह अपने परिवार और ससुराल वालों की ऋणी हैं, जिन्होंने पूरे समय उनका साथ दिया. शिक्षिका ने कहा कि मुझे याद है कि जब मैं 2005 में स्कूल ज्वांइन की थी. तब वहां एक भी लड़कियां नहीं थी. जब इस बारे में मैं लड़कों से पूछी थी तो उन्होने कोई जवाब नहीं दिया था.
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900 छात्रों में से 60% लड़कियां और 40% लड़के हैं
बता दें कि चंदना दत्त की कोशिशों का ही नतीजा है कि आज आज स्कूलों में लड़कियां अपनी पढ़ाई कर रही है. गरीब और अशिक्षित लोग भी अपनी बेटियों को पढ़ा रहे है और सरकारी माध्यमिक विद्यालय में भेज रहे है. चंदना दत्त ने बताया कि मैंने 2006 में ग्रामीणों को प्रोत्साहित करना शुरू किया और अंत में मेरी मेहनत रंग लाई. वर्तमान में हमारे स्कूल में नामांकित 900 छात्रों में से 60% लड़कियां और 40% लड़के हैं. स्कूल को भी 2020 में मिडिल से हाई स्कूल में अपग्रेड कर दिया गया.
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स्कूल की सभी दीवारों को रंगीन आरेखों, चंद्र और सूर्य ग्रहणों रंग दिया
वहीं हरिदास शर्मा ने आरके मिडिल स्कूल की इमारत को और अधिक आकर्षक बनाने के लिए लॉकडाउन के दौरान स्कूल की सभी दीवारों को रंगीन आरेखों, चंद्र और सूर्य ग्रहणों, संख्याओं और अक्षरों से रंग दिया है. हरिदास ने कहा कि चित्रों का बच्चों के दिमाग पर शब्दों की तुलना में अधिक प्रभाव पड़ता है, इसलिए मैंने दीवारों को रंगने का फैसला किया. मैंने स्कूल परिसर के एक छोटे से बगीचे में क्यूआर कोड के साथ पौधे और जड़ी-बूटियां भी लगाईं, ताकि बच्चे अपने सेलफोन पर पौधों के उपयोग और वैज्ञानिक नामों सहित सभी जानकारी प्राप्त कर सकें.
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स्कूल के सभी कक्षाओं में क्यूआर कोड लगाए गए
हरिदास ने बताया कि स्कूल के सभी कक्षाओं में क्यूआर कोड लगाए गए हैं. जिनका नाम बी आर अंबेडकर, सर्वपल्ली राधाकृष्णन, स्वामी विवेकानंद और अरुणी के नाम पर रखा गया है. जैसे ही बच्चे इन कोड को अपने मोबाइल फोन से स्कैन करते हैं, उन्हें इन व्यक्तित्वों के बारे में सब कुछ पता चल जाता है.
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