NewDelhi : दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आज परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम का आयोजन किया गया. पीएम मोदी ने परीक्षा पे चर्चा को लेकर कहा कि यह मेरा बहुत प्रिय कार्यक्रम है. कहा कि कोरोना के कारण बीच में मैं आप जैसे साथियों से मिल नहीं पाया. मेरे लिए आज का कार्यक्रम विशेष खुशी का है, क्योंकि एक लंबे अंतराल के बाद आप सबसे मिलने का मौका मिल रहा है. उन्होंने छात्रों से कहा कि त्योहारों के बीच में एग्जाम भी होते हैं. इस वजह से आप त्योहारों का मजा नहीं ले पाते. लेकिन अगर एग्जाम को ही त्योहार बना दें, तो उसमें कईं रंग भर जाते हैं.
#WATCH दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम के दौरान तालकटोरा स्टेडियम में दिव्यांग बच्चों से मिले और उनसे बात की। pic.twitter.com/gMsxpkRz3S
— ANI_HindiNews (@AHindinews) April 1, 2022
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, मन में तय कर लीजिए कि परीक्षा जीवन का सहज हिस्सा है. हमारी विकास यात्रा के ये छोटे-छोटे पड़ाव हैं. इस पड़ाव से पहले भी हम गुजर चुके हैं. पहले भी हम कई बार परीक्षा दे चुके हैं. जब यह विश्वास पैदा हो जाता है तो आने वाले एग्जाम के लिए ये अनुभव आपकी ताकत बन जाता हैं.
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पढ़ाई कब करनी जाहिए, सुबह या शाम को?
पढ़ाई कब करनी जाहिए, सुबह या शाम को? खेलने से पहले या बाद में? खाली पेट पढ़ना चाहिए या खाने के बाद? इन सवालों को लेकर पीएम मोदी ने एक फिल्म का उदाहरण दिया. जिसमें रेलवे स्टेशन के पास रहने वाले एक व्यक्ति को बंगले में रहने का अवसर मिलता है. वहां उसे नींद नहीं आती है तो वह रेलवे स्टेशन जाकर रेलगाडियों की आवाज रिकार्ड करता है और वापस आकर टेप रिकॉर्डर सुन कर सोता है. इस उदाहरण को सामने रखते हुए कहा कि हमें कंफर्टेबल होना जरूरी है. छात्रों से कहा कि इसके लिए सेल्फ असेसमेंट करें और देखें कि आप कब और कैसे पढ़ाई के लिए कंफर्टेबल होते हैं.
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मजाकिया अंदाज में कहा- एग्जाम को लिखें चिट्ठी
पीएम मोदी ने छात्रों से कहा कि वे एक दिन एग्जाम को ही चिट्ठी लिख दें. उन्होंने कहा- हे डियर एग्जाम… लिखकर शुरुआत कर सकते हैं. पीएम ने कहा कि छात्र एग्जाम को चिट्टी लिखकर बतायें. मेरी तैयारी पूरी है. हिम्मत है तो मेरी परीक्षा लो. अरे तुम क्या मेरी परीक्षा लोगे, मैं तुम्ह री परीक्षा लूंगा. इस क्रम में प्रधानमंत्री ने कहा कि खेले बिना कोई खिल नहीं सकता. अपने प्रतिद्वंदी की चुनौतियों का सामना करना हम सीखते हैं. किताबों में जो हम पढ़ते हैं, उसे आसानी से खेल के मैदान से सीखा जा सकता है.
हालांकि, अभी तक खेलकूद को शिक्षा से अलग रखा गया है. मगर अब बदलाव किया जा रहा है. प्रधानमंत्री ने कहा कि सोशल मीडिया और मोबाइल गेमिंग के एडिक्शिन के बचने के भी उपाय हैं. छात्र ऑनलाइन या ऑफलाइन रहने के बजाय कुछ देर इनरलाइन भी रहें. एकाग्र होकर पढ़ाई करेंगे तो मोबाइल के एडिक्शन से बचे रहेंगे.