मीडियापार्ट रिपोर्ट के दूसरे भाग का हिंदी अनुवाद
Lagatar Desk
राफेल डील में दलाली की जांच की मीडियापार्ट की श्रृंखला में अब तक आपने पढ़ा कि कैसे फ्रांसीसी वित्तीय अपराध शाखा की प्रमुख एलीन हॉलेट ने सबूतों से रहते इस सौदे में भ्रष्टाचार की प्रारंभिक जांच को बंद कर दिया. इस सौदे में रिलायंस की इंट्री हुई और कैसे इमैनुएल मैक्रों के आर्थिक मामलों के मंत्री रहते हुए रिलायंस की सहायक फ्रांसीसी कंपनी को टैक्स की भारी छूट मिली. और कैसे एक अंबानी के पेपर को दूसरे अंबानी के लिए इस्तेमाल किया गया. अब आगे——-
एलीन हॉलेट की सबसे हैरतअंगेज सफाई फ्रेंच टैक्स अथॉरिटी द्वारा रिलायंस के टैक्स एडजस्टमेंट के बाद अदा की जानेवाली छोटी रकम को लेकर थी. PNF प्रमुख ने शुरुआत में ही संकेत दिया था कि “टैक्स की गोपनीयता” के कारण यह पता नहीं चला कि यह फैसला किस आधार पर लिया गया. जबकि व्यापारी बर्नार्ड तापी को दी गयी भारी टैक्स छूट के मामले में बताया गया था कि न्याय प्रणाली पर गोपनीयता की यह शर्त लागू नहीं होती है. यह छूट दिये जाने का पता तब चला, जब इस केस की जांच कर रहे जजों ने सार्वजनिक वित्त निदेशालय (DGFIP) के आंतरिक ईमेल देखे.
एलीन हॉलेट ने खुद टैक्स अधिकारियों से सूचना लेने के लिए कोई आधिकारिक अनुरोध करने के बदले DGFIP के एक वरिष्ठ अधिकारी को एक अनौपचारिक फोन कॉल किया. यह अधिकारी DVNI का प्रमुख फेडरिक यनूची था. DVNI वह इकाई है, जो बड़ी कंपनियों का टैक्स सर्वे करती है. इस अनौपचारिक फोन कॉल के बारे में पूछे जाने पर फेडरिक यनूची ने मीडियापार्ट को बताया कि कानून टैक्स प्रशासन को PNF के निरंतर संपर्क में रहने की अनुमति देता है और इसके लिए प्रोत्साहित भी करता है. इसके आगे उसने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. DGFIP ने मीडियापार्ट को बताया कि यनूची ने हमारी तरफ से जवाब दिया था.
PNF की बॉस हॉलेट ने पेरिस की अदालतों में अपने सहकर्मियों और अभियोजन सेवा की तरफ से सफाई दी कि यनूची ने “बहुत ही प्रशंसनीय स्पष्टीकरण” दिया था. उसने कहा था कि टैक्स अधिकारियों ने शुरू में सख्त रुख अपनाया था, क्योंकि कंपनी वांछित दस्तावेजों को नहीं दिखा रही थी. लेकिन आखिरकार जब रिलायंस ने वे दस्तावेज मुहैया कराये, तो उन्होंने अपना रुख बदल दिया.
2011 में एक टैक्स सर्वे के बाद अधिकारियों ने पनडुब्बी के टेलीकम्यूनिकेशन केबल बनानेवाली रिलायंस फ्लैग अटलांटिक फ्रांस (RFAF) पर कृत्रिम रूप से फ्रांस में अपने मुनाफे को कम करके दिखाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि कंपनी ने टैक्स की छूट वाले देशों में स्थित समूह की अन्य कंपनियों को ओवर-द-ऑड्स फीस का भुगतान करके ऐसा किया.
RFAF द्वारा अधिकारियों दस्तावेज देने से इनकार किये जाने के बाद अधिकारियों ने उसके सभी खर्चों को अवास्तविक और अत्यधिक मानते हुए गैर टैक्स कटौती योग्य पाया. 151 मिलियन यूरो के आरंभिक विशाल टैक्स लगाने की व्याख्या करते हुए एक टैक्स विशेषज्ञ ने समझाया कि “यह मानक रणनीति है. कर अधिकारी कंपनी से वांछित दस्तावेज निकलवाने के लिए इसे परमाणु हथियार की तरह इस्तेमाल करते हैं. “यदि वे सहयोग करते हैं तो समायोजन के बाद अंतिम टैक्स की राशि का घटना सामान्य बात है. क्योंकि खर्च का भाग वास्तविक सेवाओं से मेल खाता है.”
लेकिन DVNI प्रमुख ने हॉलेट को जो अनौपचारिक जवाब दिया, उसमें हर सवाल का जवाब नहीं था. जैसे, रिलायंस ने 2015 तक इंतजार क्यों किया. वह भी राफेल अनुबंध की घोषणा से ठीक पहले तक, जबकि वह पिछले चार साल से इसे टालती आ रही थी. क्या टैक्स में 143 मिलियन यूरो की कटौती जायज थी? और कंपनी ने टैक्स की अंतिम राशि का भुगतान करने के लिए 7.6 मिलियन यूरो अलग खातों में कैसे रख लिये थे. इस बारे में पूछे गये सवाल पर DGFIP ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
मामले में कोई राजनीतिक हस्तक्षेप हुआ था अथवा नहीं, इसे केवल एक न्यायिक जांच ही सुनिश्चित कर सकता था. लेकिन एलीन हॉलेट को “कोई संदेह नहीं था”. इसलिए वह इस मामले को देख रहे अपने सहायक अभियोजक की सलाह के खिलाफ जाकर “अपराध की अनुपस्थिति” के कारण मामले को बंद करना चाहती थी.
PNF ने पेरिस की अदालतों में कहा कि हॉलेट ने पर्केट जेनेरल प्रॉसीक्यूशन सर्विस के दो वरिष्ठ अभियोजकों – म्यूरिएल फुजिना और इव मिकोले के लिए इन संभावनाओं को खुला छोड़ दिया था कि वे उसके फैसले की पुष्टि करें या उसे पलट दें. हॉलेट के पद छोड़ने के बाद ने पीएनएफ के अंतरिम प्रमुख के रूप में पदभार करने के बाद दोनों ने 15 जुलाई 2019 को उसेक फैसले को मंजूरी दे दी. पेरिस की एक अपील अदालत में प्रॉसीक्यूटर जनरल कैथरीन शमफुनॉल ने कहा कि उन्हें इस मुद्दे पर नहीं बोलने को कहा गया था.
इस बीच, कई कानूनी स्रोतों के अनुसार मामले के प्रभारी उप अभियोजक ने PNF दफ्तर में बताया कि उसने मामले को बंद करने संबंधी कानूनी नोटिस को ड्राफ्ट करने और उसपर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था, क्योंकि उसके पास ऐसा करने के लिए कोई आधार नहीं था. नतीजा यह हुआ कि पीएनएफ के वर्तमान प्रमुख जीन-फ्रांस्वा बोहार्ट के 14 अक्टूबर 2019 को सेवामुक्त होने तक भी मामले को बंद करने वाली कानूनी अधिसूचना को नहीं लिखा गया था. आखिरकार उनके नंबर दो जीन-ल्यूक ब्लशों ने इसे निपटाया.
PNF ने कहा कि शेरपा से मिले अलर्ट के “बारीक विश्लेषण” के बाद एलीन हॉलेट और उसके उत्तराधिकारियों द्वारा इस मामले को बंद करने का फैसला किया गया था. उन्होंने कहा कि संगठन द्वारा उजागर किये गये तथ्यों में से कोई भी भ्रष्टाचार के मामले की आपराधिक जांच खोलने अथवा हितों के अवैध टकराव के मामले को साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं था. नतीजतन इसे किसी भी जांच इकाई के पास नहीं भेजा गया और कोई जांच नहीं की गयी.
PNF ने इस तथ्य पर जोर दिया कि यह फैसला जीन-फ्रांस्वा बोहार्ट की नियुक्ति से पहले लिया गया था और उन्हें इस मामले की कोई भी जानकारी नहीं है. वहीं, जीन-ल्यूक ब्लशों ने सिर्फ मामले को प्रशासनिक स्तर पर बंद करने की औपचारिकता निभाई. PNF के बॉस जीन-फ्रांस्वा बोहार्ट कोई नयी जानकारी मिलने पर इस मामले को फिर से खोल सकते थे, जैसा कि “मैडम हॉलेट ने परिकल्पना की थी”, लेकिन वित्तीय अभियोजन सेवा ने कहा कि 15 अगस्त 2019 के बाद से ऐसी किसी भी अतिरिक्त सूचना से अनजान थे.
फरवरी 2020 में यह जानने के बाद कि उसके अलर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी, शेरपा ने यह कहते हुए फाइल की एक प्रति मांगी की कि उसे इसे देखने का अधिकार है. पीएनएफ में नंबर-2 की हैसियत से पर जीन-ल्यूक ब्लशों ने इस आधार पर उसके आग्रह को नकार दिया कि किसी भी अभियोजक अथवा जासूस ने जांच के दौरान अपनी “पुलिस शक्तियों” का प्रयोग नहीं किया था.
फ्रांस का आपराधिक प्रक्रिया कोड (criminal procedure code) एक अभियोजक को यह अधिकार देता है कि वह शिकायतकर्ता को किसी बंद मामले की फाइल सौंपने से इनकार कर सकता है. लेकिन मीडियापार्ट से बातचीत में कई वकीलों ने दसॉ मामले में PNF द्वारा बताये गये कारणों को काफी आश्चर्यजनक पाया.
शेरपा के अध्यक्ष और संस्थापक विलियम बॉरडन ने कहा, ” PNF का यह तर्क पूरी तरह अजीब है और काफी बिरला फैसला है.” पेशे से वकील बॉरडन ने कहा कि “मैंने अपने पूरे करियर में सिर्फ एक बार बंद मामले में एक फ़ाइल दिखाने से इनकार किया था. वह आतंकवाद का मामला था.” PNF ने जवाब दिया कि “फाइल भेजना असलियत में संभव नहीं था”, क्योंकि कोई जांच ही नहीं की गयी थी.
विलियम बॉर्डन ने कहा कि “हमारा मानना है कि जांच जरूर होनी चाहिए थी, लेकिन लगता है कि इसे रोका गया था. उन्होंने कहा कि शेरपा अब एक नागरिक संगठन के रूप में नयी शिकायत करना चाहता हैं, क्योंकि हमें लगता है कि न्यायिक जांच कराये जाने के लिए यह मामला पर्याप्त गंभीर है.
यह मामला पहले ही दोबारा खोला जा सकता था. अक्टूबर 2018 में फ्रेंच एंटी-करप्शन एजेंसी, एजेंस फ्रांकेइस एंटिकॉरप्शन (AFA) ने एक नयी जानकारी खोज निकाली थी, जो दसॉ के लिए शर्मनाक थी. मेडियापार्ट ने अपनी जांच के पहले हिस्से में इस बारे में बताया था. लेकिन AFA ने अभियोजन अधिकारियों को यह जानकारी नहीं दी.
AFA द्वारा खोजा गया संदेहास्पद भुगतान भ्रष्टाचार के विशालकाय हाथी की बस छोटी सी पूंछ थी. भारत में राफेल सौदे अनुबंध पर कई गोपनीय दस्तावेजों की खोज की गयी है. जैसा कि मीडियापार्ट की जांच के अंतिम भाग में आप पढ़ेंगे, उन दस्तावेजों की सामग्री विस्फोटक और हैरतअंगेज है.
अगली किस्त में पढ़ें, ‘राफेल पेपर्स’: फ्रांस-भारत जेट डील के विस्फोटक दस्तावेज.