Ranchi: झारखंड सरकार की तरफ से SAIL (Steel Authority of India Limited) को चाईबासा में लौह अयस्क खनन करने का लाइसेंस दिया गया है. झारखंड में विधानसभा चुनाव होने से पहले सेल की लाइसेंस की मियाद खत्म हो रही थी. सेल के अवधि विस्तार का आवेदन दिया तो रघुवर सरकार ने सेल को 20 साल तक का एक्सटेंशन दे दिया. जो की भारत सरकार की खनन नियमों के विरुद्ध है. किसी भी खनन पट्टा का विस्तार दिए जाने पर रॉयल्टी का एक तय फीसदी राशि प्रीमियम की तौर पर राज्य सरकार को कंपनी की तरफ से दी जानी है. जो कि सेल ने नहीं दिया. सरयू राय ने रघुवर दास पर आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से इसकी जांच कराने की मांग की है.
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कर्नाटक अड़ा तो कंपनी को देनी पड़ी प्रीमियम की राशि
सरयू राय सीएम को लेटर लिख कर कर्नाटक राज्य का उदाहरण दिया है. लेटर में बताया गया है कि भारत सरकार के एक उपक्रम एनडीएमसी की डोनिमलाई खान के खनन पट्टा का अवधि विस्तार देने की एवज में कर्नाटक सरकार ने रॉयल्टी की 80 प्रतिशत की मांग की. एनएमडीसी कंपनी ने देने से इंकार कर दिया. राज्य सरकार ने खनन पर रोक लगा दी. कंपनी कोर्ट गयी तो वहां उनकी याचिका खारिज कर दी गयी. आखिरकार केंद्र को मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा. कर्नाटक सरकार और एनएमडीसी के बीच रॉयल्टी पर 22.50 फीसदी प्रीमियम देने की सहमति बनी. फिर राज्य सरकार ने कंपनी को सिर्फ तीन सालों तक के लिए एक्सटेंशन दिया गया. लेकिन झारखंड की तत्कालीन रघुवर सरकार ने बिना प्रीमियम के ही 20 सालों का एक्सटेंशन दे दिया.
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झारखंड को हुआ 8000 करोड़ का घाटा
कर्नाटक की ही तरह अगर झारखंड सरकार SAIL से रॉयल्टी पर प्रीमियम लेने पर अड़ता (जो कि भारत सरकार के नियमों के मुताबिक है), और केंद्र के हस्तक्षेप से 22.50 फीसदी रॉयल्टी पर प्रीमियम तय होती तो झारखंड सरकार के खजाने में 8000 करोड़ रुपये आते, लेकिन राज्य सरकार की तरफ से कंपनी से प्रीमियम की डिमांड नहीं की गयी. साथ ही बीस साल (एक बड़ी अवधि) का एक्सटेंशन रघुवर सरकार की तरफ से दे दिया गया. अब चुनाव से ऐन पहले SAIL जैसी कंपनी को 8000 करोड़ की बड़ी राहत देने के पीछे क्या मंशा हो सकती है, इसपर सरयू राय सवाल खड़े कर रहे हैं.
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गलत रणनीति की वजह से कोर्ट में राज्य सरकार पड़ी कमजोर
सरयू राय ने सीएम हेमंत सोरेन से कहा है कि ऐसा नहीं है कि रघुवर सरकार ने राज्य को सिर्फ 8000 करोड़ का नुकसान पहुंचाया, बल्कि अपनी गलत रणनीति के तहत कोर्ट में भी कमजोर पड़ गए. सरयू राय ने सीएम को लिखी चिट्ठी में कहा है कि सरकार को जब अपनी गलती का एहसास हुआ तो भारत सरकार को सूचित कर इस मामले में अधिसूचना जारी कराने के बदले में सरकार ने सीधे सेल को अतिरिक्त अधिशुल्क की मांग भेज दी. जो नियमसंगत नहीं था. नतीजा सेल इसके खिलाफ झारखंड हाईकोर्ट चला गया. हाईकोर्ट ने झारखंड सरकार की मांग पर स्थगन आदेश दे दिया. पहले नियमों का पालन नहीं करना और बाद में अपने आप को बचाने के लिए अनियमित कार्रवाई कर देना और फिर न्यायिक प्रक्रिया में अपना दावा खारिज कराना रघुवर सरकार की रणनीति रही है, विशेषकर खनन मामलों में.
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