Nitesh Ojha
Ranchi: झारखंड विधानसभा से पारित झारखंड कराधान अधिनियम का बकाया राशि समाधान विधेयक-2022 को राज्यपाल रमेश बैस ने सरकार को लौटा दिया है. सूत्रों के मुताबिक, विधेयक को लौटाने के पीछे भाषा की अशुद्धि को बताया गया है. आपत्ति के संदर्भ में कहा गया है कि विधेयक आधा हिंदी में और आधा अंग्रेजी में लिखा गया है.
बता दें कि यह विधेयक मॉनसून सत्र 2022 में पास किया गया था. मॉनसून सत्र के अंतिम दिन वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने इसे सदन में पेश किया था. विपक्ष के बायकॉट के बीच यह विधेयक सदन से पारित हुआ था.
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इस विधेयक में बकाया टैक्स की वसूली के लिए मुकदमों को समाप्त कर वसूली का प्रावधान किया गया है. इसके तहत जीएसटी लागू होने से पहले तक के बकाये के सिलसिले में चल रहे कानूनी विवाद को समाप्त किया जायेगा.
मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा था कि राज्य वाणिज्यकर और वैट के समय के दौरान टैक्स पर विभिन्न न्यायालयों में करीब 5000 मामले चल रहे हैं. मुकदमों के निबटारे से सरकार को करीब 500 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद व्यक्त की गयी थी.
बता दें कि भाषा की अशुद्धि (विधेयक के हिन्दी और अंग्रेजी संस्करण की विसंगतियां) को आधार बताते हुए राजभवन द्वारा पूर्व में भी हेमंत सरकार द्वारा पारित कई विधेयकों को लौटाया गया है. लौटाने वाले विधेयकों में शामिल हैं.
क – भीड़ हिंसा (मॉब लिंचिंग) निवारण विधेयक
ख – पंडित रघुनाथ मुर्मू जनजातीय विश्वविद्यालय विधेयक’
ग – झारखंड वित्त विधेयक
घ – झारखंड राज्य कृषि उपज और पशुधन विपणन (संवर्धन और सुविधा) विधेयक-2022
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इसमें से पंडित रघुनाथ मुर्मू जनजातीय विश्वविद्यालय विधेयकों को मॉनसून सत्र में दोबारा पारित कराया गया है. वहीं, बुधवार के कैबिनेट में हेमंत सरकार ने एक बार फिर संशोधित कर झारखंड राज्य कृषि उपज और पशुधन विपणन (संवर्धन और सुविधा) विधेयक-2022 और झारखंड वित्त विधेयक 2022 को स्वीकृति दी है.