Ranchi: राज्य के पूर्व मंत्री और मांडर विधायक बंधु तिर्की ने झारखंड में पुनर्वास आयोग और विस्थापन आयोग गठन करने की मांग की है. बंधु तिर्की गुरुवार को मोरहाबादी स्थित आवास में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे. उन्होंने कहा कि झारखंड के आदिवासी और मूलवासियों ने एचईसी के लिए 9000 एकड़ जमीन दिया था.
33 गांव हुए विस्थापित
एचईसी के लिए जमीन देने के में 33 गांव विस्थापित हो गया थे. आज विस्थापितों का कोई अता-पता नहीं है. कुछ विस्थापितों को उस समय कुछ पैसा मिला था. जिससे कई विस्थापित राज्य के दूसरे जिलों में चले गए और वहां जाकर बस गए. उन्होंने कहा कि विस्थापितों को पुनर्वासित करने के लिए दस डिसमिल जमीन मिला था. लेकिन आज भी उस जमीन का मालगुजारी और रसीद नहीं कटता है.
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विस्थापितों के पास नहीं हैं दस्तावेज
ऐसे लोगों को जगह तो दिया गया लेकिन दस्तावेज नहीं होने के कारण इनका सर्टिफिकेट नहीं बन पा रहा है. इनका जाति प्रमाण पत्र नहीं बन पा रहा है. क्योंकि इनके पास खतियान नहीं है. यह विस्थापित अपने ही राज्य में दूसरे दर्जे के नागरिक हो गए हैं. इनका धार्मिक स्थल सरना और मसना खत्म हो गया है. जिस कारण लोग काफी आक्रोशित हैं.
विस्थापितों की अनदेखी
बंधु तिर्की ने कहा कि आज एचईसी अस्पताल में विस्थापित लोगों को जगह नहीं मिल रहा है. वहां पर आईटीआई पढ़ रहे विद्यार्थियों को परीक्षा में फेल कर दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार से मांग है कि विस्थापित गांव में कैंप लगाकर रसीद काटा जाए. ताकि इनका जाति प्रमाण पत्र बन सके.
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14 मार्च को विधानसभा मैदान में कार्यक्रम
बंधु तिर्की ने कहा कि इन सभी मांगों को लेकर 14 मार्च को झारखंड विधानसभा के पुराने मैदान में एक कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा. जिसमें सभी विस्थापित एकजुट होंगे. इस कार्यक्रम में झारखंड कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता भी शामिल होंगे. इस दौरान विस्थापितों के हक व अधिकार के लिए आवाज उठाया जाएगा.
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