Ranchi: बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के रांची पशु चिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय में बुधवार को खुरपका-मुँहपका रोग(एफएमडी) के बारे में जानकारी दी गई. जागरूकता अभियान के तहत जनसंपर्क कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसमें चतरा, बोकारो, धनबाद, देवघर एवं गिरिडीह जिले के 57 मैत्री प्रशिक्षाणार्थियों ने भाग लिया. कार्यक्रम का उद्घाटन डीन वेटनरी डॉ सुशील प्रसाद ने किया. इस मौके पर उन्होंने एफएमडी रोग से होने वाली आर्थिक क्षति और इस रोग के नियंत्रण में जागरूकता एवं पशुपालकों की महत्वपूर्ण सहभागिता की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने सलाह दी कि सही समय पर टीकाकरण तथा जैव सुरक्षा के उपायों से इस रोग से होने वाली आर्थिक हानि को काफी कम किया जा सकता है.
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FMD को खरेडू, चपका, खुरपा नामों से भी जाना जाता है
अध्यक्ष (पशु रोग विज्ञान) एवं परियोजना अन्वेषक (एफएमडी नेटवर्क केंद्र) डॉ एमके गुप्ता ने एफएमडी रोग के विभिन्न पहलुओं और इस रोग के नियंत्रण पर विस्तार से चर्चा की. उन्होंने बताया कि मवेशियों में होने वाला यह एक संक्रामक विषाणु जनित रोग है. इसे एफएमडी, खरेडू, चपका, खुरपा आदि नामों से भी जाना जाता है. जो दुधारू गाय एवं भैस में अत्यधिक तेजी से फैलता है. कुछ समय में ही पशुओं के झुंड या अधिकतर पशुओं को संक्रमित कर देता है. इस खतरनाक बीमारी से किसानों या पशुपालकों को काफी आर्थिक क्षति होती है.
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रोग के उपचार पर विस्तार से चर्चा
सह-परियोजना अन्वेषक (एफएमडी नेटवर्क केंद्र) डॉ अंसार अहमद ने मवेशियों को एफएमडी रोग हो जाने पर किये जाने वाले उपचार पर विस्तार से चर्चा की. उन्होंने इस रोग के लक्षण आरंभ होने के बाद पशु चिकित्सक से तुरंत सलाह लेने पर जोर दिया. बता दें कि प्रदेश के 5 जिलों के सभी 57 प्रशिक्षाणार्थी वेटनरी कॉलेज में राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना के अधीन आयोजित 30 दिवसीय मैत्री प्रशिक्षण ले रहे हैं. कृत्रिम गर्भाधान द्वारा पशु नस्ल सुधार को लेकर दक्ष कार्यकर्त्ता का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं. कार्यक्रम में डॉ जगरनाथ उराँव, डॉ मनोज कुमार, डॉ आलोक कुमार पांडे, डॉ मुकेश कुमार आदि ने भी भाग लिया.