Ranchi : सड़कों पर गति सीमा यानी स्पीड लिमिट को नियंत्रित करने के लिए झारखंड पुलिस 10 इंटरसेप्टर वाहन खरीदेगी. इसे लेकर झारखंड पुलिस मुख्यालय ने आदेश जारी किया है. इससे पहले साल 2018 में झारखंड पुलिस की ओर से छह इंटरसेप्टर गाड़ियां खरीदी गयी थी. इनमें दो गाड़ियां रांची के लिए, एक-एक गाड़ियां जमशेदपुर, धनबाद, हजारीबाग व बोकारो को दी गयी हैं.
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स्पीड लिमिट को तोड़ने वाले वाहनों को उपकरणों में कैद किया जाता है
इंटरसेप्टर वाहन के जरिए स्पीड लिमिट को तोड़ने वाले वाहनों के फोटो उपकरणों में कैद किया जाता है. फिर उन्हें ई-चालान भेजा जाता है. लेकिन सड़क पर वाहनों की अधिकतम स्पीड क्या होगी, इसका निर्धारण अब तक नहीं किया जा सका है. ऐसे में पुलिसकर्मी इसका इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं. इसका सही तरीके से इस्तेमाल नहीं होने से करोड़ों के इंटरसेप्टर वाहन बेकार पड़े हैं. रांची की बात की जाए, तो वर्तमान में दो इंटरसेप्टर वाहन हैं. दोनों में स्पीड मापने वाले यंत्र भी लगे हैं. लेकिन यह किसी काम के नहीं हैं. सड़कों पर इंटरसेप्टर वाहन सिर्फ घूमती हुई नजर आती है.
इंटरसेप्टर वाहन पर लगा रहता है स्पीड गन कैमरा
इंटरसेप्टर वाहन पर स्पीड गन कैमरा लगा रहता है. जो अपने आसपास में तेज गति से गुजरने वाले वाहनों की स्पीड को कैच कर लेता है. यदि स्पीड से ज्यादा वाहन की गति हुई, तो वाहन चलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है. इसमें ऑटोमेटिक चालान कट जाता है. इसके अलावा तेज गति से वाहन चलाने वालों के खिलाफ उनके रजिस्टर्ड मोबाइल पर यह मैसेज भी भेज दे दिया जाता है. जिसमें लिखा होता है कि आपने वाहन को काफी तेज गति से चलाया है. इसलिए फाइन भरना होगा. अगर यह गलती तीन बार हो जाती है, तो उनका ड्राइविंग लाइसेंस भी कैंसल किया जा सकता है.
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