Ranchi: रांची के विद्यापति स्मारक समिति के कार्यालय में रविवार को मिथिला पंचांग विमोचन कार्यक्रम हुआ. कैलेंडर 2022 सह मिथिला पंचांग विमोचन कार्यक्रम की अध्यक्षता लेखानन्द झा ने की. समिति के सदस्यों ने अतिथियों का स्वागत पाग, दुपट्टा और बुके देकर किया. इसके बाद सभी ने विद्यापति बाबा की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर जय जय भैरवी असुर भयावनी बाबा विद्यापति रचित गीत गाकर आरती की.
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ अशोक अविचल, साहित्य अकादमी भारत सरकार में मैथिली प्रतिनिधि, विशिष्ट अतिथि डॉ रविंद्र चौधरी, अंतरराष्ट्रीय मैथिली परिषद जमशेदपुर, संजीव विजयवर्गीय उपमहापौर रांची नगर निगम रांची, प्रोफ़ेसर यदुनाथ पांडे और उदित नारायण ठाकुर थे. डॉक्टर रविंद्र चौधरी ने कहा कि मैथिली भाषा को सरकार के द्वारा क्षेत्रीय भाषा में मान्यता नहीं दिया गया है. इसलिए झारखंड में रहने वाले मिथिलावासियों को जोरदार आंदोलन करना होगा. डॉक्टर यदुनाथ पांडे ने कहा कि मैथिली भाषा खुद एक शब्दकोश और व्याकरण है. मैथिली भाषा को अष्टम सूची में भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल जी की सरकार ने पार्लियामेंट में कानूनी मान्यता प्रदान किया था. उसके बाद रघुवर सरकार ने मैथिली भाषा को द्वितीय राजभाषा में मान्यता दिया था. उसके बाद भी सरकार ने अभी तक जेपीएससी एवं जेएसएससी में मान्यता नहीं दी है.
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मैथिली भाषा को मान्यता देनी चाहिए
उपमहापौर संजीव विजयवर्गीय ने कहा कि झारखंड में मैथिली भाषा के लोग काफी संख्या में हैं. इसलिए सरकार को मैथिली भाषा को मान्यता देनी चाहिए. डॉ अशोक अविचल ने कहा कि मैथिली भाषा की पढ़ाई सिद्धू कान्हू यूनिवर्सिटी में होती है. झारखंड में मैथिली बोलने वाले लोगों की संख्या लाखों में है. झारखंड के विकास में मेथिली भाषियों का बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान है. हम सभी को मिलकर मैथिली मां के लिए लड़ना होगा. इस कार्यक्रम को सफल बनाने में लेखानन्द झा, उदित नारायण ठाकुर, जयन्त झा, डॉ. बचाराम झा, बीके झा, अशोक मिश्रा, संजीव मिश्रा, दिलीप झा, अमरेंद्र मोहन झा, विद्या कांत झा, रंजीत लालदास, निर्भय कांत झा और विनय चंद्र झा का योगदान रहा.
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