- 2013 से रांची स्टेशन में बंद है प्रीपेड ऑटो सेवा
- ऑटो संगठन और निगम के कारण बंद हुई सेवा
- रांची आने-जाने वाले यात्रियों को होती है परेशानी
- बाहरी ऑटो को लाभ पहुंचाने के लिए किया बंद
Ranchi: राजधानी के दोनों स्टेशनों में प्रीपेड ऑटो की व्यवस्था नहीं है. इसके नहीं होने से रेल यात्रियों की परेशानी बढ़ती ही जा रही है. इन स्टेशनों में यात्रियों के लिए प्रशासन की ओर से कोई व्यवस्था नहीं है. बाहरी ऑटो चालकों की दबंगई से कारण यहां प्रीपेड ऑटो व्यवस्था को टिकने नही दिया गया. इसमें रांची नगर निगम के अधिकारियों की भूमिका ज्यादा रही है.
बाहरी ऑटो को लाभ पहुंचाने के लिए बंद किया
शहर के बाहरी ऑटो को लाभ पहुंचाने के लिए स्टेशन की प्रीपेड ऑटो व्यवस्था बंद की गई. रांची और हटिया स्टेशन से प्रारंभ प्रीपेड ऑटो व्यवस्था के बंद होने में निगम के लापरवाह अधिकारियों ने कोई कसर नहीं छोड़ी. बाहरी ऑटो चालक प्रीपेड की तुलना में कम किराए पर ही यात्रियों को सुविधाएं देनी शुरू कर दी. इससे यह व्यवस्था टूट गई. नुकसान होने से वर्ष 2010 में शुरू हुई प्रीपेड ऑटो के ठेकेदार लगातार बदलने लगे. 2013 तक पांच ठेकेदार बदल गए.
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120 प्रीपेड की थी व्यवस्था
रांची स्टेशन से नगर निगम ने रेल यात्रियों के लिए 120 प्रीपेड ऑटो की व्यवस्था की गई थी. निगम और परिवहन विभाग के पहल पर इन चालकों को इतने ही परमिट निर्गत किए गए.
हटिया में काउंटर खुला ही नहीं
रांची स्टेशन के बाद हटिया में भी इस व्यवस्था की शुरुआत की गई, लेकिन यहां काउंटर कभी नहीं खुला. रांची स्टेशन में प्रीपेड काउंटर की हालत देख कोई भी ठेकेदार इसे लेने के लिए सामने नहीं आया. इसके बाद से बंद हुई प्रीपेड व्यवस्था आज तक शुरू नहीं हुई.
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ऑटो संगठन के आदमी रहते हैं तैनात
रांची स्टेशन में ऑटो से अच्छी उगाही के कारण ही यहां भी यात्रियों से मनमाना किराया वसूला जाता है. बाहरी ऑटो चालकों का बोलबाला है. महासंघ के आदमी यहां तैनात रहते हैं. अपनी कमाई पर असर पड़ने की आशंका से पुलिस पिक टाईम पर पहुंचती ही नहीं. सामान्य दिनों में यहां बाहरी ऑटो के कारण जाम में रेल यात्री फसे रहते है. इसके बावजूद यहां कोई कार्रवाई नहीं की जाती है.
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