LagatarDesk : लोगों पर अभी महंगाई की और मार पड़ने वाली है. क्योंकि सितंबर में आरबीआई फिर से ब्याज दर बढ़ा सकता है. जर्मनी के डॉयचे बैंक ने यह अनुमान लगाया है. हालांकि पहले की तुलना में इस बार आरबीआई मॉनेटरी पॉलिसी रेट में वृद्धि की रफ्तार को कम कर सकती है. रिपोर्ट्स की मानें तो सितंबर में रेपो रेट में 25 बेसिस पाइंट की बढ़ोतरी हो सकती है. जिसके बाद ब्याज दर 5.40 से बढ़कर 5.65 फीसदी हो जायेगा. (पढ़ें, डांसर सपना चौधरी के खिलाफ लखनऊ की एक कोर्ट ने जारी किया गिरफ्तारी वारंट)
लोन लेना होगा और महंगा
यह लगातार चौथी बार होगा, जब आरबीआई रेपो रेट में इजाफा कर सकता है. अगर आरबीआई अगले महीने होने वाली मॉनेटरी पॉलिसी बैठक में रेपो रेट में बढ़ोतरी करता है तो लोगों को होम लोन, कार लोन समेत अन्य लोन लेना महंगा हो जायेगा. जिसके कारण लोगों को पहले की तुलना में ज्यादा ईएमआई देनी होगी.
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तीन महीने में रेपो रेट में 1.40 फीसदी का इजाफा
बता दें कि आरबीआई ने 5 अगस्त को रेपो रेट में 50 बेसिस पाइंट बढ़ाकर 5.40 फीसदी कर दिया था. यह लगातार तीसरी बार था जब आरबीआई ने रेपो रेट में इजाफा किया था. इस तरह तीन महीने में रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 1.40 फीसदी की बढ़ोतरी की है. आरबीआई ने 4 मई को अचानक ब्याज दरों में बदलाव करने का ऐलान किया था. शक्तिकांत दास ने रेपो रेट को 40 बेसिस पाइंट बढ़ाकर 4.40 फीसदी कर दिया था. फिर जून में रेपो रेट में 50 बेसिस पाइंट का इजाफा किया गया. जिसके बाद रेपो रेट 4.40 फीसदी से बढ़कर 4.90 फीसदी हो गया था.
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क्या होती है रेपो दर?
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है, जबकि रिवर्स रेपो रेट उस दर को कहते है जिस दर पर बैंकों को आरबीआई पैसा रखने पर ब्याज देती है. रेपो रेट के कम होने से लोन की ईएमआई घट जाती है, जबकि रेपो रेट में बढ़ोतरी से कर्ज महंगा हो जाता है.
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