LagatarDesk : महंगाई के मोर्चे पर राहत भरी खबर है. लगातार दूसरे महीने खुदरा महंगाई में गिरावट आयी है. नवंबर महीने में खुदरा महंगाई दर 11 महीने के निचले स्तर 5.88 फीसदी पर आ गयी. एक साल पहले नवंबर में खुदरा महंगाई दर 4.91 फीसदी रही थी. पिछले साल की तुलना में महंगाई दर अभी भी ज्यादा है. इससे पहले अक्टबूर माह में खुदरा महंगाई दर 6.77 फीसदी रही थी. वहीं सितंबर में महंगाई दर 7.41 फीसदी रही थी. लंबे समय से महंगाई दर 7 फीसदी के पार थी. लेकिन नवंबर माह में यह 6 फीसदी से नीचे चली गयी है. (पढ़ें, चतरा : माओवादियों ने सड़क निर्माण कार्य में लगे दो जेसीबी और ट्रैक्टर को किया आग के हवाले)
शहरी और ग्रामीण इलाकों में भी महंगाई दर घटी
नवंबर महीने में शहरी और ग्रामीण दोनों इलाकों में खाद्य महंगाई में कमी आयी है. नवंबर में शहरी इलाकों में खुदरा महंगाई दर 3.69 फीसदी पर आ गयी, जो अक्टूबर में 6.53 फीसदी पर रही थी. वहीं ग्रामीण इलाकों में खुदरा महंगाई दर भी नवंबर में घटकर 5.22 फीसदी पर आ गयी है, जो अक्टूबर में 7.30 फीसदी पर रही थी. खुदरा महंगाई में गिरावट से आरबीआई पर ब्याज दर में बढ़ोतरी का दबाब कम होगा. इससे होम, कार लोन समेत दूसरे लोन की ईएमआई बढ़ने की रफ्तार धीमी होगी. वहीं आम आदमी पर घर खर्च का बोझ कम होगा.
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खाद्य पदार्थों के दाम में गिरावट से महंगाई दर घटी
खाद्य वस्तुओं के दाम घटने के कारण नवंबर माह में खुदरा महंगाई दर में इतनी गिरावट आयी है. खाद्य महंगाई दर 7.01 फीसदी से घटकर 4.67 फीसदी पर आ गया है. साग-सब्जियों की महंगाई दर -8.08 फीसदी पर आ गयी है. वहीं फलों की महंगाई दर 2.62 फीसदी रही है. बता दें कि खुदरा महंगाई दर आरबीआई के टोलरेंस बैंड के अपर लेवल 6 फीसदी के नीचे आ गया है. आरबीआई ने 2 से 6 फीसदी महंगाई दर का टोलरेंस बैंड तय किया हुआ है. लेकिन लगातार खुदरा महंगाई दर आरबीआई के टोलरेंस बैंड के ऊपर था.
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क्या है CPI आधारित महंगाई?
बता दें कि जब हम महंगाई दर की बात करते हैं, तो यहां हम कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) पर आधारित महंगाई की बात कर रहे हैं. सीपीआई सामान और सेवाओं की खुदरा कीमतों में बदलाव को ट्रैक करती है, जिन्हें परिवार अपने रोजाना के इस्तेमाल के लिए खरीदते हैं. महंगाई को मापने के लिए, हम अनुमान लगाते हैं कि पिछले साल की समान अवधि के दौरान सीपीआई में कितने फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. आरबीआई अर्थव्यवस्था में कीमतों में स्थिरता रखने के लिए इस आंकड़े पर नजर रखता है. सीपीआई में एक विशेष कमोडिटी के लिए रिटेल कीमतों को देखा जाता है. इन्हें ग्रामीण, शहरी और पूरे भारत के स्तर पर देखा जाता है. एक समयावधि के अंदर प्राइस इंडेक्स में बदलाव को सीपीआई आधारित महंगाई या खुदरा महंगाई कहा जाता है.