Ranchi: झारखंड की रिक्तियों में आरक्षण (संशोधन) विधेयक में झारखंड में आरक्षण का प्रतिशत 50 से बढ़ाकर 77 फीसदी किया गया है. विधेयक के कानून का रूप लेने के बाद राज्य में ओबीसी आरक्षण 14 फीसदी से बढ़कर 27 फीसदी हो जाएगा. वहीं अनुसूचित जाति (एससी) का आरक्षण 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति (एसटी) का आरक्षण 26 से बढ़कर 28 प्रतिशत हो जाएगा. इसके अलावा आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है.
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किस जाति को कितना आरक्षण
जाति आरक्षण
अनुसूचित जाति 12 प्रतिशत
अनुसूचित जनजाति 28 प्रतिशत
अत्यंत पिछड़ा वर्ग (अनुसूची-1) 15 प्रतिशत
पिछड़ा वर्ग (अनुसूची-2) 12 प्रतिशत
आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग 10 प्रतिशत
2001 में तय हुआ था 71 फीसदी आरक्षण
झारखंड बनने के बाद 2001 में तात्कालीन सीएम बाबूलाल मरांडी ने राज्य सेवाओं में आरक्षण के निर्धारण के लिए अर्जुन मुंडा के नेतृत्व में एक मंत्रिमंडलीय उप समिति का गठन किया था. इस समिति ने 71 प्रतिशत आरक्षण तय किया था. इसमें अनुसूचित जाति को 12 फीसदी, अनुसूचित जनजाति को 32 फीसदी, अत्यंत पिछड़ा वर्ग को 18 फीसदी और पिछड़ा वर्ग को 9 फीसदी आरक्षण की सिफारिश की थी.
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कोर्ट ने 50 फीसदी तक ही आरक्षण देने का सुनाया था फैसला
समिति की रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने कुल 73 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला लिया था. इसमें अनुसूचित जाति को 14 फीसदी, अनुसूचित जनजाति को 32 प्रतिशत, अत्यंत पिछड़ा वर्ग को 18 और पिछड़ा वर्ग को 9 फीसदी आरक्षण देने का फैसला लिया गया. 2002 में मामला झारखंड हाईकोर्ट पहुंच गया. कोर्ट ने झारखंड की नौकरियों में 50 फीसदी तक आरक्षण सिमित रखने का फैसला सुनाया था, जिसके बाद अनुसूचित जाति का आरक्षण 10 फीसदी, अनुसूचित जनजाति का 26 और अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण 14 फीसदी तय किया गया.
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2019 में 60 फीसदी आरक्षण निर्धारित किया गया था
इसके बाद 2019 में भारतीय संविधान के 103वें संशोधन अधिनियम के तहत झारखंड के पदों और सेवाओं में आरक्षण का प्रतिशत फिर से 60 फीसदी निर्धारित किया गया. इसमें अनुसूचित जाति को 10, अनुसूचित जनजाति को 26, अत्यंत पिछड़ा वर्ग को 8, पिछड़ा वर्ग को 06 और आर्थिक रूप से पिछड़ों को 10 फीसदी आरक्षण देने का फैसला लिया गया. इस बीच ओबीसी आरक्षण का दायरा बढ़ाकर 27 से 30 फीसदी करने की जोरशोर से मांग उठी, तब सरकार ने सभी पहलुओं का अध्ययन कर आरक्षण 50 फीसदी से बढ़ाकर 77 फीसदी करने का फैसला लिया गया.