Ranchi: रिम्स के नेत्र रोग विभाग ने रांची के रहने वाले दो नेत्रहीनों को आंखों की रोशनी लौटायी है. शनिवार को सफल कॉर्निया ट्रांसप्लांट के बाद दोनों के आंखों की रौशनी लौट आई. दोनों ही रोगी पूर्व से आंखों की समस्या से ग्रस्त थे. धीरे-धीरे रौशनी खत्म होने लगा और दोनों के आंखों की रौशनी चली गयी. रिम्स के चिकित्सकों के संपर्क में आने के बाद उन्हें रौशनी लौटाने का भरोसा दिलाया. आई बैंक में कॉर्निया स्टॉक में नही था, ऐसे में दोनों ही कॉर्निया के इंतजार में थे.
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शमसाद के आंख में इंफेक्शन के कारण सफेदी आ गई थी
गुरुवार को एक व्यक्ति की मौत के बाद परिजनों ने नेत्रदान का फैसला लिया. रिम्स के डॉक्टरों को सूचना मिलते ही उन्होंने मौके पर पहुंचकर कॉर्निया निकालकर सुरक्षित रख लिया. इसके बाद दोनों रोगियों को फोन कर अस्पताल बुलाया गया. इसके बाद शनिवार को दोनों के कॉर्निया का सफल प्रत्यारोपण किया गया. नेत्र विभाग के एचओडी डॉ. आरके गुप्ता के नेतृत्व में नेत्र सर्जन डॉ. सुनील कुमार ने सर्जरी को अंजाम दिया.
उन्होंने बताया कि एक रोगी डोरंडा का रहने वाला 40 वर्षीय शमशाद है, जबकि दूसरा हुंडरू रांची का रहने वाला 26 वर्षीय तिलका बेदिया है. शमसाद के आंख में इंफेक्शन के कारण सफेदी आ गई थी. कई सालों से उसे बायें आंख से दिखना पूरी तरह बंद हो गया था. करीब छह माह से यह कॉर्निया के इंतजार में था, शनिवार को इंतजार पूरा हुआ.
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तिलका के आंख में केरेटोकोनस नामक बीमारी थी, दिखना हो गया था बंद
डॉ. सुनील कुमार के अनुसार, तिलका बेदिया को केरेटोकोनस नामक बीमारी थी. इसी बीमारी के कारण उसे बायें आंख से दिखना बंद हो गया था. उन्होंने बताया कि इस बीमारी के कारण कॉर्निया की आकृति एक समान नही होती, यह बाहर की तरफ उभर जाती है. इसके कारण कॉर्निया के एक कोन शंकु के आकार के जैसी बन जाती है. इस स्थिति कॉर्निया प्रत्यारोपण ही एक मात्र उपाय है. कॉर्निया ट्रांसप्लांट के बाद तिलका की आंखों की रौशनी लौट चुकी है. डॉ. सुनील कुमार ने बताया कि दो दिनों के बाद दोनों रोगियों को अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी.