Ranchi: रिम्स गवर्निंग बॉडी (RIMS GB) की 55वीं बैठक स्थगित कर दी गई है. बैठक अब 26 मार्च को आयोजित की जाएगी. बैठक शुरू होने से पहले ही जीबी के सदस्य सांसद संजय सेठ, विधायक समरी लाल ने कहा कि हमलोग यहां सिर्फ साइन करने नहीं आते हैं. पहले रिम्स का मुआयना किया जाए, उसके बाद ही जीबी की बैठक आयोजित की जाए. रिम्स की स्थिति बदतर हो गई है, न तो मरीजों को दवा मिल रही है ना ही मलहम पट्टी की सुविधा है. जिसके बाद मंत्री ने भी मुआयना करने पर सहमति दी, और जीबी को 26 मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया. रिम्स की यह 55वीं बैठक 10 महीने के बाद आयोजित की जा रही थी, जिसमें कई जरूरी निर्णय लिए जाने थे. ओल्ड पेंशन स्कीम, डॉक्टरों के प्रमोशन, नयी बिल्डिंग का निर्माण सहित अन्य जरूरी निर्णय पर विचार किया जाना था.
ट्रामा सेंटर की स्थिति देख बिफरे मंत्री, सीएमओ को किया सस्पेंड
ट्रामा सेंटर के निरीक्षण के दौरान मंत्री बन्ना गुप्ता रिम्स के अधिकारियों पर बिफर पड़े. उन्होंने रिम्स निदेशक और अधीक्षक से व्यवस्था में तत्काल सुधार करने को कहा. इसके अलावा निरीक्षण के दौरान मरीजों के बेड पर चादर नहीं होने और उन्हें कंबल नहीं मिलने को लेकर मौजूद सीएमओ को तत्काल सस्पेंड करने का आदेश दे दिया. वहीं मरीजों ने दवा, रूई और सुई भी नहीं होने की शिकायत की. एक मरीज ने मिलकर मंत्री को बताया कि यहां सभी दवाइयां मरीजों को खुद से खरीदकर लाने को कहा जाता है. जिसके बाद निदेशक से मंत्री ने कहा कि इस व्यवस्था को जल्द से जल्द सुधारिए. वहीं निरीक्षण करने के बाद स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि कई अव्यवस्था पाई गई हैं, जिसे लेकर गंभीर हूं, जल्द ही समाधान पर ध्यान दिया जाएगा.
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रिम्स स्वायत संस्था, इसके बाद भी सभी जरूरी फाइलें मंत्री के पास क्यों जाती हैं: संजय सेठ
निदेशक का बयान आ रहा है कि इस लचर व्यवस्था के लिए स्वास्थ्य विभाग और मंत्री जिम्मेवार हैं. जब निदेशक और मंत्री में सामंजस्य नहीं है तो रिम्स कैसे चलेगा. रिम्स के स्वायत संस्था होने के बाद भी सारी फाइलें मंत्री के पास क्यों जाती हैं. मंत्री सब में समीक्षा लिख देते हैं. मामला अटक जाता है, पूरी तरह तंत्र फेल है, दलालों का अड्डा और भुक्तभोगी आम जनता हो रही है. उन्होंने कहा कि दवा घोटाला की फाइल भी मंत्री के पास है, जांच के आदेश क्यों नहीं हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि हम सदस्य सिर्फ बैठक में साइन करने के लिए नहीं हैं, इसलिए हमने पहले भौतिक सत्यापन करने की मांग की थी.
मरीज हित का मुद्दा नहीं होने से नाराज थे सदस्य
जीबी के सदस्य सांसद संजय सेठ और विधायक समरी लाल ने कहा कि रिम्स मरीजों के इलाज के लिए हैं. यहां अधिकतर गरीब मरीज ही इलाज के लिए पहुंचते हैं. मरीजों को जरूरी सुविधा भी नहीं मिल पा रही है, ऐसे में जीबी में मरीज हित का एक भी एजेंडा नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण है. इसलिए ही सभी से रिम्स के वर्तमान हालत का मुआयना करने को कहा. जब स्थिति को देखेंगे तब ही समझ पाएंगे. उसके बाद जीबी की बैठक सार्थक हो पाएगी.
निदेशक बोले, हमसे ले लिया जाए इस्तीफा
बैठक के दौरान रिम्स के निदेशक डॉ कामेश्वर प्रसाद ने तीन बार इस्तीफा देने की बात कही. संजय सेठ ने बताया कि उन्होंने कहा कि हमसे अगर काम नहीं हो रहा है तो मुझे वोटिंग कर हटा दिया जाए. इसपर विधायक और अन्य सदस्यों ने कहा कि आप अपनी जिम्मेदारी से नहीं भागिये. सूत्रों ने बताया कि इसपर मंत्री ने कहा कि इस्तीफा नैतिकता का मामला है अगर आपको लगता है कि आपसे काम नहीं होगा तो आप इस्तीफा खुद से दे दीजिए. मिली जानकारी के अनुसार, मंत्री ने मीटिंग शुरु होते ही व्यवस्था सही नहीं होने की बात पर निदेशक से कहा कि इसके लिए आप जिम्मेवार हैं.
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एक लाख तक तक खर्च का है पावर, तो कैसे सुधारेंगे व्यवस्था
मीटिंग के बाद यह चर्चा होती रही कि निदेशक ने स्पष्ट कहा कि मेरा पावर पहले एक करोड़ रुपये खर्च करने तक का था. जिसे अब सीमित कर एक लाख कर दिया गया है. ऐसे में कोई भी जरूरी चीज पर निर्णय कैसे ले सकते हैं. बता दें कि वर्तमान व्यवस्था के तहत रिम्स में खरीदारी और सुविधा से जुड़ी छोटी-छोटी फाइलें भी मंत्री जी के पास ही जाती हैं.
मंत्री और निदेशक में सामंजस्य नहीं, खामियाजा मरीज भुगत रहे
सदस्यों ने कहा कि अखबारों में लगातार मंत्री और निदेशक के बीच सामंजस्य नहीं होने की बात सामने आ रही हैं. अगर रिम्स चलाने वाले निदेशक और मंत्री में ही समांजस्य नहीं है तो संस्था कैसे चलेगा. इसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है. छोटी सी छोटी चीज के लिए मरीज को बाहर जाना पड़ रहा है. मंत्री ने इस सवाल पर कहा कि हम सभी का उद्देश्य गरीब मरीजों को कैसे बेहतर से बेहतर सुविधा मिले यही है.