Ranchi : सीलन से भरी दीवारें, जर्जर छत और मूलभूत सुविधा भी रिम्स में पढ़ने वाले एमबीबीएस के छात्रों को मयस्सर नहीं हो पा रहा है. रिम्स में बॉयज और गर्ल्स हॉस्टल को मिलाकर कुल संख्या 12 है. ये सभी हॉस्टल जर्जर हालत में है. मिली जानकारी के मुताबिक 2016 से 2020 बैच के करीब 750 छात्र और छात्राएं इन्हीं जर्जर हॉस्टल में रहने को विवश हैं.
हॉस्टल की समस्याओं को लेकर जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के बैनर तले एक प्रतिनिधिमंडल ने रिम्स निदेशक से मुलाकात भी की, लेकिन हॉस्टल के मरम्मती के ठोस निर्णय के बजाय छात्रों को सिर्फ आश्वासन देकर लौटा दिया गया.
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डेढ़ साल से रीडिंग रूम में नहीं आ रहा न्यूज़पेपर
जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ विकास कुमार ने कहा कि पिछले डेढ़ सालों से हॉस्टल के रीडिंग रूम में अखबार नहीं आ रहा है. वहीं बाथरुम में पानी टपकता है. उन्होंने कहा कि कमोबेश सभी हॉस्टल की हालत पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है और यह रहने लायक नहीं है. ऐसे में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे छात्र और छात्राएं जान जोखिम में डालकर एक-एक दिन काटने को मजबूर है. उन्होंने कहा कि यदि रिम्स प्रबंधन के द्वारा हॉस्टल मरम्मत को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता है तो जल्दी ही आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जाएगी.
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पीने के लिए पानी तक नहीं, बोतलबंद पानी पर निर्भर है छात्र
लगातार.इन संवाददाता ने हॉस्टल में रह रहे छात्रों से बातचीत किया. उनका कहना है कि हॉस्टल में वाटर कूलर तो जरूर लगा हुआ है, लेकिन मेंटेनेंस के अभाव में यह काम नहीं करता है. हम सभी को पीने का पानी तक मयस्सर नहीं हो पा रहा है. छात्रों ने कहा कि बाजार से बोतल बंद पानी 30 रुपए प्रति जार खरीद कर पीने को हम सभी मजबूर है. वही 2021 बैच के एक छात्र को चूहे ने काट लिया. जिसके बाद छात्र भयभीत है.
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