Ranchi : रांची नगर निगम में एक बार फिर से डीजल चोरी का खेल शुरू हो गया है. जानकारी मिल रही है कि निगम के बकरी बाजार स्टोर रूम से कूपन लेकर ट्रैक्टर चालक कडरू स्थित हिंदुस्तान पेट्रोल पंप तो पहुंच रहे हैं, लेकिन वे डीजल नहीं भरा रहे है. दरअसल पेट्रोल पंप कर्मियो की मिलीभगत से ट्रैक्टर चालक डीजल की जगह पैसा पंप से ले रहे हैं. स्टोर रूम के एक कर्मी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया है कि बीते बुधवार को इस सच्चाई का पता निगम के एक अधिकारी को हुआ है. इसपर उन्होंने कर्मियों से पूछताछ भी की है.
बता दें कि मच्छर-मक्खी मारने के नाम पर निगम में चल रहे डीजल चोरी का खेल कोई नया नहीं है. पहले भी कई बार इस खेल का पर्दाफाश हुआ है. जून 2018 को भी तत्कालीन सहायक कार्यपालक पदाधिकारी रहे रामकृष्ण कुमार ने इस खेल का भंड़ाफोड़ किया था. हालांकि हर बार नीचे के कर्मियों पर कार्रवाई कर इस खेल में शामिल बड़े लोगों को बचा दिया जाता है.
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डीजल कम भरवाते है, और कूपन देकर बचे डीजल का नगद राशि ले लेते है.
तेल चोरी का खेल पूरा षड़यंत्र बकरी बाजार स्टोर रूम से संचालित हो रहा है. राजधानी के सभी वार्डों में फॉगिंग और कूड़ा उठाने वाले ट्रैक्टर चालक को कडरू पेट्रोल पंप से डीजल लेने के लिए स्टोर रूम से कूपन दिया जाता है. कूपन में इसका जिक्र होता है कि उन्हें कितना तेल लेना है, ताकि एक तय किलोमीटर तक वे जाकर फॉगिंग और कूड़ा का उठाव कर सके. लेकिन स्टोर रूम के इंजार्च की मिलीभगत से चालक कम ट्रैक्टर चलाते है. ऐसे में वे ट्रैक्टर में डीजल कम भरवाते है, और कूपन देकर बचे डीजल का नगद राशि ले लेते है.
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ऊपर तक पहुंचता है तेल के मुनाफे का हिस्सा
डीजल चोरी के नाम पर चल रहे इस खेल के पीछे केवल ट्रैक्टर चालक ही नहीं, बल्कि निगम के कुछ बड़े अधिकारी भी शामिल हैं. तेल चोरी भले ही ड्राइवर करता है, लेकिन उसका एक बड़ा हिस्सा निगम के इन अधिकारियों के पास भी आता है. यही कारण है कि अब तक किसी ड्राइवर पर कभी कार्रवाई नहीं हुई है. अगर कुछ पर कार्रवाई हुई भी है, तो वे वैसे दैनिक भर्ती वाले कर्मी होते है, न कि स्थायी कर्मी. इससे तेल चोरी के खेल में शामिल मुख्य अधिकारी बच जाते है.
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अधूरा ही रह गया निगम का पेट्रोल पंप लगाने का सपना
तेल चोरी के चल रहे इस खेल को रोकने के लिए निगम ने अगस्त 2018 में ही अपना पेट्रोल पंप लगाने का फैसला किया था. इसके लिए बकायदा तीन स्थानों पर पंप लगाने की बात हुई थी. तत्कालीन अपर नगर आयुक्त गिरिजा शंकर प्रसाद ने कर्मियों को पंप लगाने के लिए स्थानीय चयनित करने का आदेश दिया था. लेकिन तेल चोरी के खेल में कर्मी नहीं चाहते थे कि योजना धरातल पर उतरे. नहीं तो इस खेल से मिलने वाले मुनाफे से वे वंचित हो जाएगे. लेकिन अगर ऐसा हो जाता तो न केवल तेल में हो रहे भ्रष्टाचार पर रोक लगती, बल्कि निगम के राजस्व का भी नुकसान नहीं होता.
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