NewDelhi : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े संगठन संवर्धिनी न्यास ने कहा है कि गर्भवती महिलाएं गर्भावस्था के दौरान धार्मिक पुस्तकें पढ़ें. भगवान राम, हनुमान, शिवाजी सहित अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन गाथा के बारे में अध्ययन करें, ताकि गर्भ में पल रहे बच्चे को उचित संस्कार मिल सके.
खबर है कि रविवार को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें कई गायनकोलॉजिस्ट्स और आयुर्वेद डॉक्टर्स शामिल हुए. जानकारी के अनुसार कार्यक्रम में 12 राज्यों के लगभग 70-80 डॉक्टर पहुंचे थे.
इसे भी पढ़ें : भारत की अर्थव्यवस्था पर हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ का असर, रघुराम राजन ने चेताया
संवर्धिनी न्यास ने गर्भ संस्कार नाम से अभियान शुरू किया है
संवर्धिनी न्यास की माधुरी मराठे ने बताया कि हमने गर्भ संस्कार नाम से एक अभियान शुरू किया है. इस अभियान के जरिए स्त्री रोग विशेषज्ञ गर्भवती महिलाओं तक पहुंचेंगे. इस दौरान डॉक्टर महिलाओं को बताएंगे कि कैसे गर्भ के अंदर बच्चों को संस्कार देना है.
इसे भी पढ़ें : उमेश पाल हत्याकांड : पुलिस एनकाउंटर में मारा गया विजय उर्फ उस्मान चौधरी, पाल पर चलायी थी पहली गोली
शिवाजी की माता जीजा बाई का उदाहरण दिया
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार माधुरी मराठे ने उदाहरण के माध्यम से समझाया कि किस तरह से गर्भ में ही बच्चे को उचित संस्कार दिया जा सकता है. उन्होंने शिवाजी की माता जीजा बाई का उदाहरण देते हुए बताया कि जीजा बाई ने अपनी गर्भावस्था के दौरान एक राजा की कामना की थी, फिर शिवाजी का जन्म हुआ
महिलाएं गर्भावस्था के दौरान गीता पाठ करें
कार्यक्रम में शामिल लोगों ने कहा कि महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान गीता पाठ करना चाहिए. कहा कि हमारा लक्ष्य देश में हर साल 1,000 ऐसे गर्भ संस्कार बच्चों को जन्म देना है. कहा गया कि यह पहल भारत के पुराने गौरव को बहाल करने के लिए है. जान लें कि पौराणिक ग्रंथों में भी गर्भ संस्कार का जिक्र है.
रामायण में महर्षि वाल्मीकि माता सीता को गर्भावस्था के दौरान अच्छी बातें सुनने और भगवान की आराधना करने को कहते हैं. ताकि, गर्भ में पल रहे बच्चे को एक अच्छा संस्कार मिल सके. बता दे कि महाभारत काल में अभिमन्यु की मां सुभद्रा ने भी गर्भ संस्कार के नियमों का पालन किया था.
Leave a Reply